NewDelhi : देश में ट्रिब्यूनल के पदों पर नियुक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर आंखें तरेरी हैं. SC ने केंद्र सरकार से दो सप्ताह में सभी नियुक्तियों से जुड़ी जानकारी तलब की है. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस चलाने की चेतावनी भी दी.
खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब कमेटी द्वारा कैंडिडेट के नामों को सुझाया गया है, तब अबतक इन पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं की गयी है. CJI एनवी रमना ने सुनवाई के क्रम में कहा कि सरकार द्वारा चेरी पिक की नीति से नियुक्ति की गयी है. कहा कि अगर पहले ही चिन्हित लोगों की लिस्ट तैयार की गयी है, तब वेट लिस्ट से क्यों चुना गया है.
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केंद्र सरकार को अपने अनुसार नियुक्ति करने का अधिकार है
सरकार ने जवाब दिया कि केंद्र सरकार को अपने अनुसार नियुक्ति करने का अधिकार है. चीफ जस्टिस ने साफ किया कि कमेटी ने 41 लोगों का नाम सुझाये गये लेकिन 18 की ही नियुक्ति हुई है. हमें यह भी नहीं पता कि किस आधार पर लोगों को चुना गया है. सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति पर AG ने कहा कि सरकार के पास अधिकार है कि वह सभी सुझावों को ना माने.
चीफ जस्टिस का कहना था कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, जो संविधान के अनुसार चलता है. ऐसे में आप इस तरह का जवाब नहीं दे सकते . इस पर सरकार ने कोर्ट को बताया कि हमने सभी सुझावों पर नज़र डाली है, कुल छह ट्रिब्यूनल में कोई जगह नहीं है. अन्य 9 ट्रिब्यूनल को लेकर किसी तरह का सुझाव नहीं दिया गया था.
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सिलेक्शन कमेटी की ज़रूरत क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा चुने गये नामों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर सरकार को अपने हिसाब से लोगों को चुनना है, तो फिर सिलेक्शन कमेटी की ज़रूरत क्या है. CJI एनवी रमना ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जिस तरह से लोगों का चयन हुआ है, हम इससे बेहद नाखुश हैं. हमने 500 लोगों का इंटरव्यू किया, जिसमें से 11 को शॉर्टलिस्ट किया लेकिन उनमें से सिर्फ 4 का सिलेक्शन हुआ और सरकार ने बाकी वेटिंग लिस्ट से चुन लिये.
जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने अब ट्रिब्यूनल एक्ट को लेकर दायर याचिका पर जवाब देने सहित अन्य मुद्दों को लेकर सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है. बता दें कि देश की अलग-अलग ट्रिब्यूनल में लोगों की कमी और एक जगह से दूसरे जगह लोगों को भेजे जाने के मसला जब अदालत में उठा, तब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद में कोई व्यक्ति नहीं है, वहां के लोगों को कोलकाता जाना पड़ता है. कोलकाता के लोगों को लखनऊ जाना पड़ता है. सिस्टम पूरी तरह से खराब हो चुका है. इस परेशानी को अब सिर्फ लोगों की नियुक्ति कर दूर किया जा सकता है.