- झारखंड की परिश्रमी महिलाएं देश के विकास में योगदान देने में सक्षम हैं
- दहेज प्रथा के खिलाफ आदिवासी समाज का उदाहरण पूरे देश में अनुसरणीय
- हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखना है, नहीं तो दुनिया की भीड़ में खो जाएंगे
- महिलाओं के चेहरे की मुस्कान देख राष्ट्रपति हुईं प्रसन्न
Ranchi/Khunti : झारखंड दौरे पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मन राज्य की प्रतिभाशाली बेटियों ने मोह लिया. गुरुवार को खूंटी में महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के सम्मेलन में उन्होंने राज्य की महिलाओं की खूब तारीफ की. कहा झारखंड की महिलाएं काफी परिश्रमी और प्रतिभाशील हैं. बेटियां रानी हैं, परी हैं, देवी, दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती हैं. झारखंड में यमुना टुडू और छुटनी महतो जैसी महिलाएं हैं, जिन्होंने संघर्ष के बूते समाज को नई दिशा दिखाई. खेल के क्षेत्र में झारखंड की बेटियों ने देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. इसके बाद राष्ट्रपति शाम में रांची में ट्रिपल आईटी के कॉन्वोकेशन में छात्राओं की तारीफ की और उनके सम्मान में तालियां बजवाई. उन्होंने ट्रिपल आईटी में उपाधि और पद प्राप्त करने वाले 109 स्टूडेंट्स को बधाई दी. कहा कि यह देखकर प्रसन्नता हुई कि 10 मेडल और शील्ड हासिल करने वालों में 8 छात्राएं हैं. एक छात्रा तीन बार, तीन छात्राएं दो-दो बार शील्ड लेने आई. एक छात्रा ने ओवरऑल बेस्ट परफॉरमेंस का मेडल प्राप्त किया. कम संख्या के बावजूद छात्राओं ने 80 फीसदी मेडल और शील्ड प्राप्त किये. इन छात्राओं के देखकर आगे भी छात्राएं ट्रिपल आईटी में एडमिशन लेंगी.
सरकारी सुविधा के इंतजार में बैठे न रहें, दौड़ना होगा
राष्ट्रपति ने खूंटी में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए महिलाओं को आगे बढ़ने की राह दिखाई. कहा कि हम पिछड़े हैं इसलिए सिर्फ इस उम्मीद में हाथ पर हाथ धरे बैठे न रहें कि केंद्र और राज्य सरकार हमारी मदद करेगी. सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाये, लेकिन अपनी प्रतिभा और क्षमता को भी निखारें. मेहनत करने से पीछे न हटें. हमें और अच्छा करने के लिए दौड़ना होगा. राष्ट्रपति ने कहा उन्हें आदिवासी महिला होने पर गर्व है. देश में अपने क्षेत्रों में बेटियों और महिलाओं ने अमूल्य योगदान दिया है. महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं. लोकतंत्र की शक्ति के कारण आज वे राष्ट्रपति के रूप में लोगों के बीच मौजूद हैं.
हमें अपने संस्कृति को बचाए रखना है
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समाज कई क्षेत्र में उदाहरण पेश करते हैं. हमलोग बिना दहेज के अपने घरों में बहू लाते हैं और दूसरे घरों में बिना दहेज के बेटी देते हैं. दहेज एक राक्षस है. इस संबंध में जनजातीय समाज का उदाहरण पूरे देश में अनुसरनीय है. राष्ट्रपति ने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण पर भी जोर दिया. कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखना है, नहीं तो हम दुनिया की भीड़ में खो जाएंगे.
खूंटी में राष्ट्रपति के भाषण की प्रमुख बातें
- मेरे शरीर में बहता है झारखंड का भी खून
- मंत्री जोबा मांझी जिस घर की बहू उसी घर से थीं मेरी दादी
- अब महिलाएं महुआ से बना रहीं केक और लड्डू
- झारखंड के आदिवासी परिवार दूसरे राज्यों के परिवारों से 2 कदम आगे हैं
- सौभाग्य से इस धरती का राज्यापल बनने का मौका मिला था
- झारखंड की महिलाएं काफी परिश्रमी और प्रतिभाशाली हैं
- महिलाएं देश के आर्थिक विकास में योगदान देने में सक्षम हैं
- बेटी रानी है, परी है, देवी, दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती है
- यमुना टुडू, छुटनी महतो जैसे महिलाओं से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें
- झारखंड की खिलाड़ियों ने देश-विदेश में प्रतिभा का लोहा मनवाया
- भारत का झंडा ऊंचा करने वाली झारखंड की बेटियों पर गर्व है
- खुश हूं कि जनजातीय समुदाय के लोग राजनीति में आगे आ रहे हैं
- अर्जुन मुंडा केंद्र में मंत्री, हेमंत सोरेन सीएम, 28 आदिवासी विधायक हैं
- स्वयं सहायत समूह की महिलाओं के प्रोड्क्ट गुणवत्तापूर्ण
- महिलाओं के चेहरे की मुस्कान देख बहुत खुशी हो रही
ट्रिपल आईटी के कन्वोकेशन में राष्ट्रपति ने कहा
- ट्रिपल आईटी इनोवेशन और रिसर्च हब के रूप में लहराएगा परचम
- सूचना-प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सोशल जस्टिस के लिए किया जाना चाहिए
- नवाचारों के जरिये नागरिकों के कल्याण के लिए काम करना होगा
- कभी हमने सोचा नहीं था स्ट्रीट वेंडर्स से डिजिटल लेनदेन कर सकेंगे
- आज हम आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के युग में पहुंच रहे हैं
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर अपनी क्षमता बढ़ाएं
- मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ हों युवा
- जीवन के लिए आजीविका जरूरी है, लेकिन दूसरों का जीवन भी करें बेहतर
- युवाओं में समाज बदलने और विकसित राष्ट्र बनाने की क्षमता है
- हम युवाओं को सही दिशा दिखायें ये हमारा कर्तव्य है
व्यापक बाजार उपलब्ध कराने की जरूरत- राज्यपाल
खूंटी में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि स्वयं सहायत सूहों द्वारा बनाये गये उत्पाद गुणवत्तापूर्ण होते हैं, लेकिन इन्हें अभी भी व्यापक रूप से बाजार उपलब्ध कराने की जरूरत है. कहा कि हमारी जनजाति बहनें महिला स्वयं सहायता समूह में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं और स्वावलंबी बनने की दिशा में प्रयास कर रही हैं. इन समूहों से जुड़ी बहनों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में परिवर्तन देखा जा रहा है. झारखंड की महिलाएं अत्यन्त परिश्रमी हैं और जागरूक होकर सशक्त होने की दिशा में प्रयास कर रही हैं. राज्य के गांवों के भ्रमण के दौरान उन्होंने महिलाओं की प्रतिभा को नजदीक से देखा है. बहनों की मेहनत एवं प्रतिभा को वे सलाम करते हैं.
सरना धर्मकोड को केंद्र दे मंजूरी- सीएम
खूंटी में मंच से हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति के सामने कुछ मांगें रखीं. कहा कि राज्य के आदिवासियों के जीवन-मरण की कुछ मांगें है, जिन्हें वे केंद्र से स्वीकृति दिलाएं तभी आदिवासियों का वजूद बचेगा. झारखंड ने सरना धर्म कोड पास कर केंद्र को भेजा है. हो, मुंडारी और कुडुख भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को भेजा गया है. इसे शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के साथ कदम मिलाने के लिए तैयार है. हमें केंद्र और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से काफी उम्मीदें हैं.
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