Deoghar: जिले के सरस कुंज में इन दिनों ओरेकल के बैनर तले दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. इस योजना के तहत सभी दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से जुड़ी सभी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं.
सूचना क्रांति के इस नये युग में डिजिटल होते भारत सहित पूरी दुनिया को एक मोबाइल ने अपने में समेट लिया है. लेकिन डिजिटलीकरण की दिशा में कुछ नुकसान और फायदे दोनों होते हैं. यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि हम उसका उपयोग कैसे करते हैं.
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ऑडियो उपकरणों से बच्चे बोलकर सिखते हैं
दरअसल देवघर जिले के सरस कुंज में रह रहे सभी बच्चे दृष्टि दिव्यांग हैं. इन्हें विशेष शिक्षकों ने ब्रेल लिपि मेथड से शिक्षा दी है. बच्चों ने अच्छी तालीम भी हासिल की है. लिहाजा बच्चे सभी अक्षरों को पहचानते भी हैं और लिख भी लेते हैं. भगवान ने इन्हें एक आम बच्चे से बिल्कुल अलग सोचने और समझने की शक्ति दी है. बच्चों के हाथों में जो उपकरण आप देख रहे हैं, यह दरअसल ऑडियो उपकरण हैं. इन उपकरणों से बच्चे बोलकर सीखते हैं.
गूगल से जानकारियां प्राप्त करने में सक्षम हैं स्टूडेंट्स
गैजेट्स के जरिये इन्हें सारी सूचनाएं इन्हें इन से मिल पा रही है. साथ ही बच्चे कंप्यूटर का ज्ञान भी ले रहे हैं. इंटरनेट की दुनिया से भी इन्हें जोड़ दिया गया है. खुद कीबोर्ड पर अंग्रेजी में लिखे शब्द भी टाइप करते हैं. ये बच्चे गूगल से सभी प्रकार की जानकारी ले लेते हैं. शिक्षक दृष्टि दिव्यांग सत्यदीप सिंह कहते हैं ये सूचना क्रांति से दूर ना हो जाएं इसलिए इन्हें सभी प्रकार के मोबाइल ऐप्स की जानकारी दी जा रही है.
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