Girish Malviya
EMI के बोझ से दबा देश का मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग कोरोना महामारी में बर्बाद हो रहा है और देश का मेन स्ट्रीम मीडिया जमीन से जुड़े मुद्दे न उठाकर आगामी यूपी इलेक्शन को ध्यान में रखते हुए जमकर हिन्दू मुस्लिम एंगल की खबरें लगातार परोस रहा है. तकरीबन डेढ़ साल से कोरोना के चलते लोगों के उद्योग-धंधे, नौकरी, व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद तो लोग बड़ी संख्या में सोना बेचने या गिरवी रखने बाजार आ रहे हैं. हम जानते ही हैं कि भारत में लोग तब तक अपने आभूषण गिरवी नहीं रखते, जब तक गहरा वित्तीय संकट सामने न खड़ा हो.
मार्च 2020 के बाद जब से देश में कोरोना महामारी ने दस्तक दी है. उसके बाद से गोल्ड लोन में रिकॉर्ड 86.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े के अनुसार, बैंकों ने रिकॉर्ड 62101 करोड़ रुपए का गोल्ड लोन लोगों को दिया है. पिछले साल मई 2020 तक एक साल में लोगों ने 15686 करोड़ रुपए का लोन लिया था. वहीं मई 2020 के बाद मई 2021 के बीच गोल्ड लोन की राशि बढ़कर 62101 करोड़ रुपए तक पहुंच गयी. यानि पिछले एक साल में 46415 करोड़ रुपए का गोल्ड लोन लोगों ने बैंकों से लिया है.
यह तो हुई औपचारिक क्षेत्र की बात. अनौपचारिक क्षेत्र यानी देश के सराफा बाजारों में तो हाल और भी बुरा है. सर्राफा कारोबारियों के मुताबिक, जितना सोना लोग छह माह में गिरवी रखते थे, उतना लोगों ने एक माह में गिरवी रखा था.
दूसरी लहर में अस्पतालों में भर्ती होने की ऊंची लागत के चलते पारिवारिक आर्थिक तंगी के कारण सबसे अधिक सोना गिरवी रखा गया है. पर लोग बिजली बिल या दुकान/मकान का किराया भरने के लिए भी सोना गिरवी रख रहे हैं.
हम जानते हैं कि जितनी नौकरी रोजगार लॉकडाउन में कम हुए सभी वापस बहाल नहीं होंगे. न तो संगठित क्षेत्र में और न ही असंगठित क्षेत्र में. इसलिए यह सोना मध्यम वर्ग अपने पास से गंवा देगा. क्योंकि कर्ज देने वाले को आपका सोना बेचने का अधिकार है. लोन देते समय जो जिस दस्तावेज पर फाइनेंस कंपनी आपसे दस्तखत कराती हैं, उसमें इस शर्त का जिक्र होता है कि अगर आप 90 दिनों तक लोन की EMI नहीं चुकाते हैं तो ग्रेस पीरियड के बाद अपनी बकाया रकम की वसूली के लिए बैंक आपका गिरवी रखा सोना बेच सकता है. बहुत भयावह तस्वीर है और उधर महंगाई दिन ब दिन बढ़ रही है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.