Ashish Tagore
Latehar : श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर के 30वें वार्षिकोत्सव का तीन दिवसीय कार्यक्रम एक फरवरी को कलश यात्रा के साथ होगा. दो फरवरी को दुर्गा सप्तशती पाठ एवं तीन फरवरी को भंडारा एवं रात्रि भगवती जागरण का आयोजन किया जायेगा. इसकी तैयारियां अंतिम चरण में है. मंदिर समिति के सह सचिव रंजीत कुमार व रविंद्र प्रजापति ने संयुक्त रूप से बताया कि भंडारा में 12 से 15 हजार श्रद्धालुओं के भाग लेने का अनुमान है. कहना गलत नहीं होगा कि शहर का श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर न सिर्फ लातेहार, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए श्रद्धा, भक्ति व विश्वास का प्रतीक है. दूर-दराज से लोग यहां आकर माता की चरणों में मत्था टेक सुख व शांति की कामना करते हैं. प्रतिवर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मंदिर का वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. नगरवासी इस वार्षिकोत्सव को किसी उत्सव से कम नहीं मनाते हैं.
1946 में यहां शुरू हुई थी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना
बताया जाता है कि वर्ष 1946 से यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की गयी थी. आजादी के पूर्व यहां एक तालाब हुआ करता था. स्थानीय लोगों ने इस तालाब को भरकर एक खपरैल दुर्गाबाड़ी का निर्माण कर दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया था.दुर्गाबाड़ी खपरैल व छोटा होने के कारण यहां दुर्गा पूजा का आयोजन करने में लोगों को परेशानी होती थी. वर्ष 1992 में स्थानीय लोगों की एक बैठक में दुर्गाबाड़ी को भव्य मंदिर का स्वरूप देने का निर्णय लिया. आपसी सहयोग से तकरीबन दो वर्षों में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ. जयपुर से माता वैष्णव की प्रतिमा लाकर स्थापित की गयी. लोगों का कहना है मां की प्रतिमा अद्वितीय है. लोगों की मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां से मन्नत मांगता है, उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है. वर्ष 2003 में तत्कालीन विधायक वैद्यनाथ राम के विधायक कोटे से मंदिर परिसर में एक विशाल विवाह मंडप बनाया गया. इसके बाद विधायक श्री राम के ही दूसरे कार्यकाल में मंदिर के ऊपरी तल्ले पर एक हॉल व सात कमरों का निर्माण कराया गया है. मंदिर में प्रतिवर्ष दर्जनों शादियां होती है. मंदिर के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी एवं मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तक भाग ले चुके हैं. इस वर्ष मंदिर की नयी कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया है.
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