Ahmedabad : जब तक हिंदू बहुसंख्यक हैं, तब तक देश में संविधान, धर्मनिरपेक्षता और कानून की बात चलेगी. अगर एक बार यह समुदाय अल्पसंख्यक हो गया, तो फिर कुछ भी नहीं रहेगा. गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने यह बात कल शुक्रवार को कही. वे गांधीनगर में भारत माता मंदिर में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव में बोल रहे थे. कार्यक्रम में गुजरात के गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा के साथ विहिप और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता मौजूद थे.
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अगर आप इसे वीडियो रिकॉर्ड करना चाहते हैं, तो इसे करें
पटेल ने कहा कि हमारे देश में कुछ लोग संविधान और धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं. लेकिन मैं आपको बताता हूं और अगर आप इसे वीडियो रिकॉर्ड करना चाहते हैं, तो इसे करें. मेरे शब्दों को लिखकर रख लें. संविधान, धर्मनिरपेक्षता और कानून आदि की बात करने वाले ऐसा तब तक करेंगे जब तक कि इस देश में हिंदू बहुसंख्यक हैं. जिस दिन हिंदुओं की संख्या घटती है, दूसरों की वृद्धि होती है, तब न धर्मनिरपेक्षता, न लोकसभा और न संविधान. सब कुछ हवा-हवाई होगा और दफन हो जायेगा. कुछ नहीं रहेगा.
पटेल ने कहा, मैं सबकी बात नहीं कर रहा हूं. मैं यह साफ भी कर दूं. लाखों मुसलमान और ईसाई देशभक्त भी हैं. हजारों मुस्लिम भारतीय सैन्य बलों और गुजरात पुलिस फोर्स में हैं. वे सभी देश भक्त हैं.
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धर्मांतरण कानून की धाराओं पर रोक के खिलाफ SC में जायेंगे
पटेल ने अहमदाबाद में कहा है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेगी, जिसमें धर्म परिवर्तन के खिलाफ विवादास्पद कानून की कुछ धाराओं, जिनमें मूल प्रवाधान भी शामिल है, पर रोक लगा दी गयी है. जान लें कि गुजरात उच्च न्यायालय ने अन्य धाराओं समेत धारा 5 के उपयोग पर रोक लगा दी है. जो मुख्य रूप से शादी के माध्यम से धर्मांतरण से संबंधित हैं. गुजरात की भाजपा सरकार का कहना है कि यही धारा पूरे अधिनियम का मूल है. इस पर रोक से पूरे पर असर पड़ता है.
पटेल ने पत्रकारों को बताया कि गुजरात सरकार क्यों यह कानून लायी
नितिन पटेल ने पत्रकारों को बताया कि गुजरात सरकार क्यों यह कानून लायी. कहा कि अपनी आय, जीवन शैली और धर्म के बारे में झूठ बोलकर लड़कियों को फंसाने की कोशिश करने वाले असामाजिक तत्वों से बेटियों को बचाने के लिए यह कानून लाया गया है, जो लव जिहाद विरोधी कानून के रूप में लोकप्रिय है. पटेल का कहना था कि लड़कियों को शादी के बाद पता चलता है कि पुरुष दूसरे धर्म का है और कुछ नहीं कमाता. खबर है कि विशेषज्ञों और महाधिवक्ता से परामर्श करने के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है.