- बोले- उड़नदस्ता गठन का क्या औचित्य, जबकि यह शक्ति पहले से है
- दावा था कि उत्पाद राजस्व में बढ़ोतरी होगी, पर पहले छह माह में देखी जा रही कमी
- झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की कार्यशैली पर उठाया सवाल
- मानसून सत्र में- 2022 में पारित हुए था विधेयक
Ranchi: मानसून सत्र 2022 में पारित झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 को राज्यपाल रमेश बैस ने नाराजगी के साथ सरकार को लौटा दिया है. लौटाने के साथ राज्यपाल ने विधेयक के कई प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की बात सरकार से की है. इसमें सबसे प्रमुख विधेयक में शामिल उड़न दस्ता गठन के प्रावधान और बिवरेज कॉपोरेशन की कार्यशैली पर सवाल उठाना शामिल हैं. राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि विधेयक की धारा 7 के उपधारा- 3 में उड़नदस्ता का गठन का प्रावधान किया गया है. जबकि पहले से ही उत्पाद विभाग को आवश्यकतानुसार पदाधिकारियों के उड़नदस्ता, टास्क फोर्स, मोबाइल फोर्स आदि गठित करने की शक्ति मिली हुई है. ऐसे में फिर से धारा- 7 के उपधारा- 3 जोड़े जाने का औचित्य नहीं है. इसके अलावा झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड को काम दिये जाने और नये उत्पाद नीति लागू किये जाने के बाद विभाग का दावा था कि उत्पाद राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, पर यह दावा फेल साबित हुआ है, के दावे किये गये थे. लेकिन पहले छह माह में ही उत्पाद राजस्व में निरंतर कमी देखी जा रही है.
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राज्यपाल ने विधेयक के इन प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की बात कहीं
- वर्तमान में शराब की बिक्री का दुकान बिवरेज कॉपोरेशन के माध्यम से चयनित एंजेसियों के द्वारा संचालित किये जाते हैं. विधेयक में प्रावधान है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता पाये जाने पर एजेंसी के स्थानीय कर्मचारी जो शराब बेचने का काम करते हैं, उन्हें ही जवाबदेह माना जाएगा. यह व्यवस्था निगम के पदाधिकारियों को तथा एजेंसियों के उच्च पदाधिकारियों को आपराधिक व असंवैधानिक कार्यों से संरक्षण देने का प्रयास के तौर पर देखा जाता है.
- धारा- 52 में सजा के साथ मुआवजा भुगतान का प्रावधान किया गया है. जरूरी होगा कि सजा एवं मुआवजा के निर्धारण के लिए अलग-अलग धाराओं में प्रावधान किया जाए.
- धारा– 79 (IV) में 20 लीटर तक शराब जमा करने की स्थिति में स्वयं के बांड पर आरोपित को अधिकारी के विवेक के अनुसार मुक्त किया जा सकता है. मतलब कोई भी व्यक्ति अब 20 लीटर तक शराब जमा कर सकता है, जो उचित प्रतीत नहीं होता है.
- सामान्यतः उत्पाद नीति एवं अधिनियम के प्रावधानों के संबंध में राजस्व पर्षद के स्तर से समीक्षा की जाती है. क्योंकि राजस्व पर्षद को उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत कतिपय शक्तियां दी गयी है. लेकिन संशोधन विधेयक के मामलों में राजस्व पर्षद का कोई परामर्श लिया गया हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता है.
- नये उत्पाद नीति लागू किये जाने के बाद विभाग द्वारा उत्पाद राजस्व में बढ़ोत्तरी के दावे किये गये थे. लेकिन पहले छह माह में ही उत्पाद राजस्व में निरंतर कमी देखी जा रही है. उत्पाद अधिनियम में विभागीय और निगम के पदाधिकारियों की सीधी जवाबदेही कम होने से मॉनिटरिंग और कमजोर होगा.
राजस्व पर्षद से मंतव्य लेकर विधेयक में संशोधन करें सरकार
उपरोक्त तथ्यों की बात करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि सरकार विधेयक के प्रावधानों पर पुनर्विचार करें. साथ ही संबंधित प्रावधानों की समीक्षा कर राजस्व पर्षद से मंतव्य लेकर विधेयक के प्रावधानों को संशोधित करने पर विचार करें.