Ranchi: अस्पताल के स्टाफ-चिकित्सक-नर्स ही नही बल्कि पूरी सिस्टम की मानवता तब मर गई. जब एक मां अपने नवजात को गोद में लिए रिम्स के चक्कर लगाती रही. जब सुविधा नही मिली तो वह नवजात को लेकर घर चली गई. दरअसल, बोकारो जिले के कसमार की रहने वाली पुबिता देवी को वहां से प्रसव के लिए रिम्स रेफर किया गया था. जन्म के बाद से ही बच्चे के पीठ में बड़ा जख्म था. जब परिजन उसे रिम्स में भर्ती करने की प्रक्रिया कर रहे थे तो उसे भर्ती ही नहीं लिया गया. जानकारी के अनुसार, महिला ने ओपीडी का पर्ची कटाया था. इसके बाद वह इलाज के लिए इधर-उधर भटकी, लेकिन कुछ समझ नहीं आया. इसके बाद उसने दोबारा इमरजेंसी का पर्ची कटाया लेकिन वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी. इसके बाद महिला रिम्स से वापस लौट गई. किसी ने महिला की सुधि नहीं ली.
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बच्चे की पीठ में समस्या होने के कारण आई थी रिम्स
थक हारकर परिजन बच्चे को घर ले गए. नवजात की मां पुबिता देवी ने कहा कि 14 घंटे पहले बच्चे का जन्म हुआ है. पीठ में समस्या होने के कारण रिम्स लाना पड़ा. मैं खुद कमजोर हूं, पर बच्चे की जान बचानी ज्यादा जरूरी है. यही सोचकर छह घंटे से इसे लेकर यहां-वहां अस्पताल के चक्कर लगा रही हूं. लेकिन छह घंटे में इलाज तो दूर किसी डॉक्टर तक ने नहीं देखा. बताते चलें कि प्रसव के बाद कई दिन तक चिकित्सक मां को बेड से उठने तक नहीं देते, जबकि यहां एक मां डिलीवरी के महज कुछ ही घंटों बाद अपने कलेजे के टुकड़े की जान बचाने की जद्दोजहद करती दिखी, पर सिस्टम ने ही साथ नहीं दिया.
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