Ranchi: मसानजोर डैम को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव से पूछा है कि किन परिस्थितियों में सिर्फ बंगाल सरकार से ही 1949 की एग्रीमेंट की कॉपी मांगी गई है.
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बिहार सरकार से क्यों नहीं मांगी गई
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव को अब शपथ पत्र दायर कर अदालत को यह बताना है कि सिर्फ बंगाल सरकार से ही क्यों 1949 की एग्रीमेंट की कॉपी मांगी गई और बिहार सरकार से क्यों नहीं मांगी गई.
अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष आपत्ति जताई
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के द्वारा दायर किए गए एफिडेविट पर भी कहा कि इतने कनी अधिकारी से इस गंभीर मामले में एफिडेविट दायर नहीं करवाना चाहिए था. और सचिव स्तर के पदाधिकारी को इस मामले में एफिडेविट दायर करना चाहिए. एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा एफिडेविट दायर किए जाने पर प्रार्थी के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने अदालत के समक्ष आपत्ति जताई.
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18 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अब इस मामले में 18 मार्च को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जनहित याचिका पर सुनवाई हुई राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश और प्रार्थी निशिकांत दुबे की तरफ से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय अदालत के समक्ष उपस्थित हुए.
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भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटया है
दरसअल गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मसानजोर डैम के पानी का इस्तेमाल और उससे उत्पादित होने वाली बिजली में भी झारखंड सरकार को वाजिब अधिकार की मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटया है. याचिका में कहा गया है की अगर मसानजोर डैम का विवाद खत्म हो जायेगा तो झारखंड के संथाल परगना के कई जिलों में सिंचाई के पानी की समस्या खत्म हो सकती है.
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