Ranchi : रांची मेन रोड स्थित अल्बर्ट एक्का चौक पर पूर्व विधायक कामरेड महेंद्र सिंह का 17वां शहादत दिवस मनाया गया. भाकपा माले ने महेंद्र सिंह के शहादत दिवस को संकल्प दिवस के रुप में मनाया. 16 जनवरी 2005 को बगोदर विधानसभा के सरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत दुर्गीधवैया गांव में उग्रवादियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. जब उग्रवादियों ने पूछा था कि कौन हैं महेंद्र सिंह. तो महेंद्र सिंह ने कहा “मै हू महेंद्र सिंह, कहो क्या कहना चाहते हो”.
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कौन थे कामरेड महेंद्र सिंह
गिरीडीह जिले के बगोदर विधानसभा के खंभरा गांव में जन्मे कामरेड महेंद्र सिंह जल , जंगल , जमीन और गरीब वंचितों की आवाज थे . 70 के दशक में राजनीति में आए कामरेड महेंद्र सिंह राजनीतिक गलियारों में एक अलग पहचान बना ली थी. 1985 में बगोदर विधानसभा से चुनाव लड़े लेकिन वे हार गए. ये चुनाव उनहोंने जेल से लड़ा था . 1990 में वह पहली बार बगोदर से विधायक बने. उनकी सादगी और कार्यशैली ऐसी थी कि जनता की आंखों के तारे बन चुके थे. उन्होंने झारखंड अलग राज्य में अहम भूमिका निभाया था. इनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि इनके सामने कोई टिक ही नहीं पाता था. सरकार के दिए हुए किसी भी उपहार को कभी भी नहीं अपनाया . वह कहते थे कि उपहार में खर्च होने वाले पैसे हमेशा जनता के लिए खर्च होने चाहिए.
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किसने क्या कहा
सीपीईएम के नगर सचिव एस. के. राय़ ने कहा कि कामरेड महेंद्र सिंह जल, जंगल, जमीन ,जमीदारी , पूजींवादी के खिलाफ थे और वे हमेशा दबे कुचले लोगो की आवाज थे.सुशांतो मुखर्जी ने कहा कि महेंद्र सिंह अपने जीवन को व्यवहारिकता की कसौटी पर देखते थे. साधू के जीवन में क्या कष्ट है उसे उन्होंने साधु बनकर देखा. वहीं जिस गरीब के पास घऱ नहीं है तो उसे क्या कष्ट है बिनाघर वालों के यहा रुक के देखा. तो कभी भूखा रह के देखा. भाकपा माले के भुनेश्वर केवट ने कहा कि महेंद्र सिंह की हत्या एक राजनैतिक साजिश थी. सीबीआई की जाँच संतोषजनक नहीं है.