Ranchi : कई बार रिम्स में ऐसी तस्वीर देखने को मिलती जाती है. जिसे देखते ही लोग वहीं ठिठक जाते हैं. मंगलवार को भी राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स में कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली. ऐसा लगा जैसे झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था ठेले पर हो. ऐसा कहने के पीछे की वजह रांची के कमलाकांत रोड पहाड़ी मंदिर के निवासी रिशु हैं. दरअसल उनके पास पैसे नहीं हैं तो उन्हें अपने पिता को मजबूरन ठेला से रिम्स लेकर आना पड़ा.
रिशु ने बताया कि छठ से पहले पिता का बाया पैर टूट गया था. रिम्स में इलाज करवाया था, डॉक्टर ने जांच के लिए आने की सलाह दी थी. लेकिन आर्थिक तंगी तो इसलिए पिता को ठेला से लेकर अस्पताल आया हूं. रिशु को एंबुलेंस की सुविधा नहीं पायी.
हालांकि राज्य सरकार यह दावा करती है कि समाज के अंतिम व्यक्ति बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचायी जाएगी. लेकिन राजधानी में ही रहकर रिशु को अपने पिता के लिए वो व्यवस्था नहीं मिल पायी. चाहे इसके पीछे वजह जो भी रही हो. तो सुदूर इलाके की कल्पना कैसी होगी, इसे भी इसके जरिये समझा जा सकता है. वैसे तो कई ऐसी सामाजिक संस्थाएं हैं, जो जरूरतमंद लोगों को एंबुलेंस मुहैया करवाती हैं. लेकिन रिशु मजबूर है क्योंकि वह गरीब है.
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एंबुलेंस में ढोया जा रहा है अस्पताल का सामान
वहीं लगातार.इन की पड़ताल में एक तस्वीर ऐसी भी देखने को मिली है. जहां पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ लिमिटेड की ओर से रिम्स को दिए गए एंबुलेंस में अस्पताल का सामान ढोया जा रहा है. एंबुलेंस में सामान ढोये जाने के मामले को लेकर रिम्स के जिम्मेदार पदाधिकारियों से बात करने की कोशिश की गयी. लेकिन किसी ने जवाब देना उचित नहीं समझा.
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राज्य सरकार करती है 108 एंबुलेंस का संचालन
झारखंड सरकार राज्य के लोगों के लिए 108 एंबुलेंस सेवा का परिचालन कर रही है. लोगों को 108 पर कॉल करने के बाद एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी जाती है. एंबुलेंस गंभीर मरीजों के साथ गर्भवती और लाचार लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम करती है.
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