DHANBAD : तारीख पर तारीख… तारीख पर तारीख….. मिलती रहता है, लेकिन नहीं मिलता है न्याय..! यह किसी फिल्म का डायलॉग नहीं, बल्कि हकीकत है, जो धनबाद महिला थाना में जमीन पर दिखाई देता है. महिलाओं को न्याय, सम्मान, अधिकार तथा हक देने की बड़ी-बड़ी बातें सरकार समय-समय पर करती रहती है. परंतु सरकारी नुमाइंदों को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. वह अपने ही अंदाज में काम करेंगे. उनकी कार्य पद्धति में कोई बदलाव नहीं आएगा, जिसे चरितार्थ कर दिखाया है धनबाद जिला मुख्यालय स्थित महिला थाना ने… जहां परिवार तथा समाज से त्रस्त होकर पीड़ित महिला न्याय पाने की उम्मीद में आती है, लेकिन मिलती है सिर्फ तारीख.
आवेदन पर भी देना होता है नजराना
महिला थाना में आवेदन लेने के एवज में नजराना, तो कभी नोटिस भेजने के एवज में पैसे की वसूली तो कभी कार्रवाई करने के एवज में रिश्वत…, ऐसे में भला पीड़ित महिलाओं को न्याय कैसे मिल सकेगा? हालांकि यह बात खुले तौर पर सभी अधिकारियों तथा स्थानीय पदाधिकारियों को ज्ञात है, लेकिन सवाल है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे…., क्योंकि हमाम में तो सभी नंगे हैं.
जब छलक उठा पीड़तों का दर्द
जब महिला थाना में मौजूद पीड़ित महिलाओं तथा अन्य लोगों से बात की तो एकबारगी उनका दर्द छलक कर बाहर आ गया. कहने लगे कि बार-बार चक्कर कटवाया जाता है और तारीख देकर बार-बार बुलाया जाता है. न्याय की आस में महिला थाना में पदस्थापित रक्षकों की वंदना करनी पड़ती है.
बार बार बुलाकर की जाती है वसूली
एक पीड़ित महिला ने बताया कि वह पिछले तीन माह से थाना का चक्कर काट रही है. इधर परिवार वाले उसके साथ मारपीट और गाली गलौज करने से बाज नहीं आ रहे हैं. उसे आवेदन जमा करने के बाद बार-बार बुलाया गया और बदले में कभी 50-500 रुपये तक वसूल लिया गया, जबकि वह दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रही है.
शिकायत पर सिर्फ दौड़ाया जाता है
महिला थाना में मौजूद अनूप कुमार वर्णवाल ने बताया कि उसकी पुत्री को परिवार के लोग प्रताड़ित कर रहे हैं. उसे बेवजह परेशान करते हैं. वह 3 जनवरी से शिकायत लेकर आ रहे हैं, लेकिन उसे तरह-तरह के बहाने बताकर बार-बार दौड़ाया जा रहा है. अब तक उसे न्याय नहीं मिल पाया है.
थाना बनने पर जगी थी महिलाओं की आस
मालूम हो कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए महिला थाना की शुरुआत हुई थी, तो लोगों में विश्वास जगा था कि अब महिलाओं को सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने नहीं होंगे. लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट है. एक तो परिवार और समाज से प्रताड़ित, दूसरी ओर महिला थाना में वसूली और बरगलाने जैसी हरकत. पीड़ित कहां जाए…और यह सब कुछ वरीय अधिकारियों की नाक के नीचे होता है. सवाल है कि भ्रष्ट पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई कौन करेगा?
हालांकि महिला थाना प्रभारी कुमारी बिशाखा ने दावा किया कि जैसा कहा जा रहा है, वैसा नहीं है. उनका कहना है कि जो भी शिकायत आती है, उसे सुना जाता है.
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