Ranchi : गरीबों, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले फादर स्टेन स्वामी के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी और जेएमएम की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की है. मुख्यमंत्री ने बिना नाम लिए उनके निधन के कारणों को लेकर केंद्र सरकार पर भी हमला बोला है. हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे देश की वर्तमान व्यवस्था ने फादर स्टेन स्वामी को निगल गई है. मानवाधिकार की लड़ाई लड़ना, आदिवासियों की आवाज बनना उनको बहुत महंगा पड़ा और अंततः लगभग 84-85 साल की उम्र में मुंबई की जेल में उन को मारने के लिए छोड़ दिया गया. दुर्भाग्य है, कि आज हम लोगों के के समक्ष एक ऐसी घड़ी आ गई है जब हमें मानव अधिकार और आदिवासियों की लड़ाई लड़ने पर उसका परिणाम भुगतना पड़ता है.
ग़रीबों, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले स्व फ़ादर स्टेन स्वामी को मैं, अपनी और अपनी पार्टी की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। pic.twitter.com/xm96KJxpaO
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 6, 2021
आज हम लोकतंत्र का एक अजूबा चेहरा देख रहे हैं
मुख्यमंत्री ने कहा है कि आज हम लोकतंत्र का एक अजूबा चेहरा देख रहे हैं. आज जिस तरीके से समाजसेवी, गरीबों के आवाज बनने वाले लोग शिकार हो रहे हैं, वह एक कठिन घड़ी का संकेत है. हमें सोचना होगा कि इस वक्त को बदलने के लिए हमें क्या करना चाहिए. हमें सोचना होगा की आज हमारे बीच में से गरीबों की आवाज बनने वाले वाले लोगों के ऊपर प्रताड़ना का सिलसिला जारी है. अगर ऐसा ही होता रहा तो शायद लोकतंत्र के मायने बदल जाएंगे. उन्होंने कहा कि आज संविधान कागज के टुकड़ों में सिमट के रह गया है.
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अभी गरीबों का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है
हेमंत ने कहा, उन्हें लगता है कि फादर स्वामी के बारे में बहुत कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. किस तरीके से उनके गिरफ्तारी से लेकर मुंबई की जेल यात्रा यूएपीए से बंधे एक बुजुर्ग व्यक्ति को प्रताड़ना झेलना पड़ा. आज एक बेबस बुजुर्ग व्यक्ति अपने आखिरी दम तक आपने इस संघर्ष को जारी रखा. निश्चित तौर पर आज हम उनके निधन को दुखद घटना के तौर पर देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सदियों से आदिवासियों के बीच ऐसे लोग आये हैं जो उनके हितों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं. उन्ही में से फादर स्वामी भी रहे हैं. हेमंत ने कहा कि अभी गरीबों का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है, और यह संघर्ष कहीं ना कहीं और मजबूत करने की दिशा संकेत दे रहा है. ताकि देश में आदिवासी दलित पिछड़ा अल्पसंख्यक सुरक्षित रह सके.