Ranchi : मिशन 2024 को लेकर देशभर में कांग्रेस पार्टी द्वारा संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है. इसी उद्देश्य से झारखंड में भी प्रदेश नेतृत्व की ओर से राज्य में 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन स्थिति यह है कि पार्टी इस लक्ष्य को पूरा करने में विफल रही है. मीडिया में लगातार आ रही नकारात्मक खबरों पर विराम लगाने के लिए झारखंड कांग्रेस अब प्रेस वार्ता कर स्थिति को स्पष्ट कर रही है. इसी कड़ी में मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रेस वार्ता किया. उन्होंने बताया है कि महज 6 माह में झारखंड कांग्रेस ने 7.50 नए सदस्य को जोड़ने में सफल रही है. इसमें 2.8 लाख सदस्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ी है. उन्होंने स्वीकारा की अभियान में कुछ देरी हुई है, पर राज्य गठन के 22 साल बाद पार्टी की यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि संवाद गैप नहीं हो, इसलिए पार्टी प्रेस वार्ता कर मीडिया को सदस्यता अभियान की जानकारी दे रही है.
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कार्यकर्ताओं के मनोभव को जानने का मिला मौका
राजेश ठाकुर ने बताया कि पहली बार जनजागरण के माध्यम से सभी जिलों का दौरा कर कार्यकर्ताओं के भावनाओं को समझने को मौका मिला. नये प्रभारी की सोच के साथ हुए चिंतन शिविर में गुटबाजी को दरकिनार कर राज्य के विकास को गति देने का फैसला किया गया. प्रमंडलीय स्तरीय संवाद कार्यक्रम से पंचायत और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भावना को समझने का प्रयास किया गया. अभियान की सफलता को देखकर जिला और प्रखंड स्तरीय संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसी तरह सदस्यता अभियान भी काफी सफल दिखी. अबतक 7.50 (इसमें 2.8 हजार डिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा ) लाख सदस्यता फॉर्म भरा गया है. उन्होंने स्वीकार किया कि अभियान में कुछ देरी हुई है. लेकिन यह भी सत्य है महज 6 माह में इतनी बड़ी संख्या में सदस्यता अभियान ऐतिहासिक कदम है.
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जो आरोप लगा रहे हैं, वे देखे कि उनपर भ्रष्टाचार के कितने आरोप है
बिजली की लगातार समस्या को देखते हुए राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार का अभिन्न अंग होते हुए हमारी यही कोशिश है कि राज्यवासियों को अबाधित बिजली मिले. हालांकि हमें यह भी देखना होगा कि यह स्थिति ऐसी क्यों है. 22 साल बाद भी लोगों को बिजली क्यों नहीं मिल रही है. मुख्यमंत्री के खनन विभाग से जुड़े मामले में कहा कि आरोप लगाना आसान होता है, लेकिन उसे सत्य साबित करना काफी कठिन होता है. जो आरोप लगा रहे हैं, उनपर भी ध्यान देना चाहिए, कि उनपर भ्रष्टाचार के कितने आरोप हैं.
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