NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spyware case) में कल बुधवार को फैसला सुनायेगा. बता दें कि कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला आना है. CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच फैसला सुनाने वाली है. खबर है कि फैसला सुबह साढ़े दस बजे सुनाया जायेगा. याद करें कि भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने 23 सितंबर को कहा था कि अदालत पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं आदि की जासूसी के आरोपों को देखने के लिए एक तकनीकी समिति गठित करने पर विचार कर रही है.
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इजरायली कंपनी एनएसओ ने पेगासस स्पाइवेयर तैयार किया है
जान लें कि इजरायली कंपनी एनएसओ (NSO) ने पेगासस स्पाइवेयर को तैयार किया है. CJI ने कहा था कि तकनीकी समिति का हिस्सा बनने के इच्छुक व्यक्तियों की पहचान करने में कठिनाइयों के कारण आदेश में देरी हो रही है. 13 सितंबर को चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने पेगासस मामले में अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा था. इससे पूर्व केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करने को लेकर अनिच्छा जताई थी. इस हलफनामे में बताया जाना था कि सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं.
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सुरक्षा का हवाला देकर केंद्र ने नहीं किया हलफनामा दायर
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ में दलील दी थी कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसलिए इसे न्यायिक बहस या सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं बनाया जा सकता. कहा था कि सरकार हलफनामे में यह जानकारी नहीं दे सकती कि उसने सुरक्षा उद्देश्यों के लिए किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, क्योंकि इससे आतंकी समूह अलर्ट हो सकते हैं.
मेहता ने कहा था कि आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, केंद्र ने इस मुद्दे की जांच के लिए एक तकनीकी समिति गठित करने पर सहमति व्यक्त की है. जल्द ही समिति अदालत को एक रिपोर्ट सौंपेगी.
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बेंच ने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा या रक्षा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं चाहती
इस पर बेंच ने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा या रक्षा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं चाहती. केवल नागरिकों की जासूसी के आरोपों के संबंध में सरकार से स्पष्टीकरण मांग रही है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था, हमें सुरक्षा या रक्षा से संबंधित मामलों को जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है. हम केवल यह जानने के लिए चिंतित हैं कि क्या सरकार ने कानून के तहत स्वीकार्य के अलावा किसी अन्य तरीके का इस्तेमाल किया है. चीफ जस्टिस ने कहा था, हम फिर दोहरा रहे हैं कि हमें सुरक्षा या रक्षा से संबंधित मामलों को जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है. हमारे सामने पत्रकार, कार्यकर्ता और अन्य लोग हैं, जो ये जानना चाहते हैं कि क्या सरकार ने कानून से बाहर जाते हुए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है?