FAISAL ANURAG
हजारों लोग अस्पताल में भर्ती होने लायक पैसा न होने की वजह से दम तोड़ रहे हों, तो भारत सरकार और फ्रैंचाइजीज आईपीएल में पैसा क्यों फूंक रहे हैं. क्या यह कहने का साहस आखिर कोई भारतीय क्रिकेटर या सलिब्रेटी कर सकता है. शायद ही कोई आगे बढ़ कर सच कहने का जोखिम उठाये, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के एक क्रिकेटर ने आइपीएल से नाम वापस लेते हुए टिप्पणी की है. इस खिलाड़ी का नाम ऐंड्रयू टाय है. वे राजस्थान रॉयल्स के लिए अनुबंधित तेज गेंदबाज हैं, जो अब अपने देश ऑस्ट्रेलिया वापस जा चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया के ही एक अन्य तेज गेंदबाज पैट कमिंस ने पचास हजार डालर की सहायता पीएम केयर्स फंड को दी है. हो सकता है कि आइटी सेल या भारत में सेलिब्रेटी माने जाने वालों के लिए यह मामूली राशि हो, लेकिन इन दोनों खिलाड़ियों ने यह साबित तो कर ही दिया है कि वे एक इंसान पहले हैं बाद में सेलिब्रेटी.
इसी तरह पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने एक मार्मिक अपील वाला वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने भारत के लिए विश्व समुदाय से मदद की गुहार लगायी है. पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध गायक अली जफर ने भी इसी तरह का की अपील की है. शोएब अख्तर की तूफानी तेज गेंदों का जलवा दुनिया देखती रही है. लेकिन भारत के अब तक कितने खिलाड़ियों या फिल्मी जगत के लोगों ने आगे बढ़ कर सहयोग की पेशकश की है. फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट को मदद के लिए आगे आये हैं, लेकिन मुकेश अंबानी और गौतम अदानी सहित जिन चंद लोगों ने पिछले लॉकडाउन में भारी मुनाफा कमाया, उनकी भूमिका की चर्चा क्यों नहीं हो रही है.
देश के अनेक शहरों के श्मशानों की आग नहीं थम रही, तब मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर इंसान बन गये हैं. किसी खिलाड़ी, कलाकार या किसी भी क्षे़त्र के सेलिब्रेटी का बतौर भारतीय नागरिक भी एक दायित्व होता है. याद कीजिये, जब 2014 में ब्राजील एक भयावह आर्थिक त्रासदी से गुजर रहा था, वहां फुटबॉल विश्वकप का आयोजन किया गया था. उस आयोजन को लेकर ब्राजील के फुटबॉल सलिब्रेटीज हों या फिल्म जगत के लोग, अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज को बुलंद की थी.
हाल ही में अमेरिका में जार्ज फ्लायड की हत्या के खिलाफ ब्लैक लाइव्स मैटर्स आंदोलन खड़ा हुआ, तो बास्केटबॉल के अनेक दिग्गजों ने न केवल काली पट्टी लगा कर विरोध किया, बल्कि उस हत्याकांड के खिलाफ सड़क पर भी उतरे. मोहम्मद अली तो बॉक्सिंग के बेताज बादशाह थे. उन्होंने भी अमेरिका की वियतनाम कार्रवाई से उभरी त्रासदी का खुला विरोध किया था. प्राकृतिक आपदाओं में तो राहत देने में दुनिया के अनेक सेलिब्रेटी कीर्तिमान बना चुके हैं. पुर्तगाल के फुटबॉलर रोनाल्डो हों या टेनिस के बादशाह राफेल नडाल या रोजर फेडरर. सब अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान देने के लिए जाने जाते हैं.
भारत में पिछली बार सोनू सूद ने कोविड त्रासदी के बीच मजदूरों की जो मदद की थी, वह बेमिसाल है. लेकिन किसी दूसरे सोनू सूद जैसा नाम याद करना भी सेलिब्रेटी लिस्ट में मुश्किल जान पड़ता है. सवाल है कि जिन लोगों के सहारे ही नाम बनता है, जब वे किसी घनघोर संकट में होते हैं, तो चुप्पी क्यों साध ली जाती है. फिल्मों की कुछ हस्तियों ने नागरिकता विरोधी आंदोलन के समय जरूर जुबान खोली थी, लेकिन उनमें कई बाद में केंद्रीय जांच ऐंजेंसियों के शिकार हो गये. किसान आंदोलन के समर्थन में बयान देने की कीमत तो तापसी पन्नू को भी चुकानी पड़ी. लेकिन यह समय मानवता के संकट का है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख तो कह रहे हैं कि भारत में मन विचलित करने वाली घटनाएं हो रही हैं, लेकिन इन घटनाओं ने शायद भारत के सेलिब्रटीज के दिलों को नहीं झकझोरा है.