Ranchi: झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ के केंद्रीय समिति के संयुक्त सचिव सुशील कुमार पांडेय ने कहा सीएम हेमंत सोरेन की पहल पर सूबे में कार्यरत संविदा कर्मियों के स्थायीकरण के लिए विशेष समिति का गठन किया था लेकिन समिति में मौजद अफसरों की नियत संविदा कर्मियों के प्रति ठीक नहीं है. राज्य के बड़े अधिकारी अनुबंध कर्मियों के विरोध में साजिश में लगे है.
अफसरों की साजिश को महासंघ ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
राज्य संविदा कर्मियों के स्थायीकरण के लिए बनी कमेटी में पारा शिक्षकों, आंगनबाड़ी, एनआरएचएम सहित अन्य सोसाइटी वर्करों को शामिल नहीं करने का फैसला लिया है. इस फैसले को राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ केंद्रीय समिति के संयुक्त सचिव ने अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
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अनुबंध कर्मियों की समस्या का अबतक नहीं हुआ निदान
सुशील कुमार पांडेय ने आगे कहा अनुबंध कर्मचारियों की समस्या समाधान का कोई ठोस निर्णय अब तक नहीं किया गया है. पूर्ण बहुमत की सरकार में जनता एवं कर्मचारियों की भावनाओं के अनुसार काम होना चाहिए, लेकिन वैसे संविदा कर्मियों को स्थायीकरण की प्रक्रिया से अलग किया गया जो राज्य के मूल निवासी हैं और यह नदी, पहाड़, सुदूर गांव एवं दुर्गम स्थल पर जनता के पास सरकार की योजनाओं को पहुंचाने का काम करते हैं. इसमें पारा शिक्षक हों या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता. ये सभी राज्य गठन के समय से ही सरकार को लगातार सेवा दे रहे हैं. इसलिए सरकार को चाहिए कि अनुबंध कर्मचारियों के साथ बैठक कर सामूहिक चर्चा से समाधान निकालने की दिशा में कार्य हो.
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काम करने वालों को परेशान करते हैं अफसर- महेश सोरेन
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन ने कहा कि राज्य में काम करने वाले मेहनतकश अनुबंध कर्मियों को बिना वजह परेशान कर बर्खास्त किया जा रहा है. अफसर जनबूझ कर अनावश्यक दबाव बना रहे हैं. विभाग के अधिकारियों को योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए मैनेजमेंट प्लान भी बताना चाहिए एवं विभाग की ओर सें समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए, जो कि सूबे में नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि अनुबंध कर्मियों को परेशान करने वाले अफसरों कार्रवाई हो.
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