New Delhi : उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने तथाकथित ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को रोकने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी है. इसके तहत विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराये जाने पर अधिकतम 10 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन इस कानून में सिर्फ शादी के लिए ही नहीं और भी दूसरे मकसद से धर्म परिवर्तन कराये जाने पर सजा मिलेगी. इसे चार वर्गों में बांटा गया है.
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चार तरह का जुर्म और वैसी ही सजा
राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि इस नए अध्यादेश में धर्म परिवर्तन को चार कैटेगरी में बांटा गया है. उसी के हिसाब से सजा तय की गई है. अध्यादेश में मिथ्या निरूपण, बल, असम्यक प्रभाव, प्रपीड़न, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण माध्यम द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन हेतु विवश किये जाने पर उस कृत्य को एक संज्ञेय अपराध के रूप में मानते हुए संबंधित अपराध गैर जमानतीय प्रकृति का होने और उक्त अभियोग को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बताये जाने का प्रावधान किया जा रहा है. अध्यादेश में जुर्म और सजा को इस तरह से रखा गया है-
अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम 5 साल की सजा होगी. वहीं जुर्माने की रकम 15 हज़ार रुपए से कम नहीं होगी.
नाबालिग महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के संबंध में धारा-3 के उल्लंघन पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी. वहीं जुर्माने की रकम 25 हज़ार रुपए से कम नहीं होगी.
सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 3 साल से कम जेल नहीं होगी और अधिकतम 10 साल तक की होगी. जबकि जुर्माने की रकम 50 हजार रुपये से कम नहीं होगी.
अध्यादेश के अनुसार धर्म परिवर्तन के इच्छुक व्यक्ति को एक तय प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट को 2 महीने पहले सूचना देनी होगी. इसका उल्लंघन करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा और जुर्माने की न्यूनतम रकम 10 हज़ार रुपये करने प्रावधान किया जा रहा है.
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