Ranchi: एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस एक वैश्विक खतरा है. जिससे दुनिया भर में कम से कम 1.27 मिलियन लोगों की मौत हो गई. 2019 में लगभग 5 मिलियन लोगों की मौत इसी से हो गई. वहीं अमेरीका में प्रति वर्ष 2.8 मिलियन से भी ज्यादा एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के मामले सामने आते हैं. इनमें करीब 35000 लोगों की मौत हो जाती है. इसका खुलासा 2019 के सीडीसी एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस थ्रेट रिपोर्ट में हुई. एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस किसी भी स्तर पर लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है. यह वैश्विक समस्या बनकर सामने आ रही है. इससे ऑर्गेन फेल होने का खतरा रहता है. वहीं एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे या फिर अस्पताल में भर्ती एक मरीज से दूसरे मरीज तक फैल सकती है.
एक वक्त ऐसा भी होगा जब महंगी एंटीबायोटिक भी काम करना बंद कर देगीः डॉ गोविंद माधव
न्यूरोफिजीशियन डॉ गोविंद माधव ने कहा कि कोई भी बुखार बैक्टीरिया की वजह से होने वाला है, यह जरूरी नहीं है. इन दिनों बीमारी से जल्द छुटकारा के लिए अंधाधुंध और बेवजह एंटीबायोटिक दवाएं दी जाने लगी हैं. इस कारण बहुत सारे बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रति रेसिस्टेंस डेवलप कर ले रहे हैं. जहां सही में एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है वहां असर नहीं हो रहा है. यही कारण है कि पहले जहां आईसीयू में भर्ती मरीजों के सेप्सिस मैनेजमेंट के लिए 50-100 रुपये की एंटीबायोटिक दवा में इलाज हो जाता था, लेकिन अब एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की वजह से पांच से दस हजार रुपये रोज एंटीबायोटिक दवा पर खर्च करने पड़ते हैं. आगे चलकर एक वक्त ऐसा भी आएगा जब महंगी एंटीबायोटिक दवाएं जिसकी कीमत 10-15 हजार रुपये हों, वह भी काम करना बंद कर देंगी.
बिना चिकित्सकीय सलाह के एंटीबायोटिक दवा का सेवन घातकः डॉ अनुज कुमार
वहीं मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ अनुज कुमार ने कहा कि जब एंटीबायोटिक दवाओं का इजाद नहीं हुआ था. उस समय कई बार एक छोटे घाव तक से लोगों की मौत हो जाती थी. टीवी और डायरिया लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण हुआ करता था. एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के बढ़ते मामले लोगों को वापस उस दौर में पहुंचा सकता हैं. ऐसे में बिना चिकित्सकीय सलाह के एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करें. उन्होंने कहा कि चिकित्सा पद्धति में बड़ा बदलाव हुआ है. लेकिन विज्ञान के इस दौर में फायदा है तो इसके कुछ नुकसान भी होते हैं.

कल्चर सेंसिटिविटी टेस्ट के बिना एंटीबायोटिक देना गलतः डॉ मनोज कुमार
वहीं रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ मनोज कुमार ने कहा कि किसी भी प्रकार के संक्रमण का जब तक कल्चर सेंसटिविटी नहीं कराकर बेधड़क एंटीबायोटिक का प्रयोग करने लगेंगे तो शरीर के लिए मददगार साबित होने वाला बैक्टीरिया मर जाते हैं. ऐसे में शरीर को नुकसान देने वाले बैक्टीरिया पर आगे चलकर किसी तरह का कोई असर नहीं होता है. जिस कारण रेसिस्टेंस बन जाते हैं.






