Lagatar Desk : झारखंड की 22वीं वर्षगांठ भी गुजर गई. साहित्यकारों की प्रतीक्षा थकने लगी है. आखिर कब गठित होगी झारखंड साहित्य अकादमी! साहित्यकारों ने साझा किया दर्द….

ओहदार अनाम अजनबी रामगढ़ के रहने वाले हैं, उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य बने आज 22 साल पूरे हो गए , लेकिन अभी तक झारखंड साहित्य अकादमी का गठन नहीं हुआ है. इससे झारखंडी भाषा एवं साहित्य का विकास रुक सा गया है.हिंदी समेत झारखंडी भाषाओं के विकास के लिए झारखंड भाषा अकादमी का गठन जल्द से जल्द हो.

2. गोड्डा के रहने वाले सुशील कुमार ने कहा कि साहित्य अकादमी गठित नहीं होने से झारखंड के लेखक -कवि निराश हो रहे हैं. एक भाषा से दूसरी भाषाओं में उत्कृष्ट कृतियों के न तो अनुवाद का कार्य बेहतर ढंग से हो पा रहा है, न विभिन्न विषयों की रचनाओं का सरकारी व्यय और पहल से कोई प्रकाशन हो पा रहा है.


रांची के रहने वाले सुरेश निराला ने कहा कि झारखंड में साहित्य अकादमी स्थापित नहीं कर हिंदी और यहां की भाषाओं को साहित्यकारों को गूंगा बहरा बना दिया गया है. अकादमी न होने से झारखंड के सभी साहित्यकारों का मनोबल गिरा हुआ है. अकादमी का गठन होना भाषा विकास की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा.

दिनेश दिनमणि बोकारो के रहने वाले है. उनका कहना है कि किसी राज्य के सर्वांगीण विकास की संकल्पना की परिधि से भाषा-साहित्य को बाहर नहीं रखा जा सकता. झारखंड में शासन की ओर से मामला उपेक्षित रहा. भाषा साहित्य अकादमी के अभाव में राज्य की कई भाषाएं अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. कई विलोपन के कगार पर हैं.