Lagatar desk : हिन्दुओं के महापर्व छठ पर पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखती है और शाम में किसी तालाब, नदी या जलकुंभ में जाकर सूर्य की उपासना करती है. और डूबते हुए सूर्य के अंतिम किरण को दूध और पानी से अर्घ्य देती है
ऐसा माना जाता है कि सूर्य की पत्नी प्रत्यूषा को छठ के पहले अर्घ्य के दिन अर्घ्य दिया जाता हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करना चाहिए. इसमें दूध और गंगा जल मिश्रित करके सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
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क्यों दी जाती है अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
डूबते सूर्य की उपासना सिर्फ छठ पूजा में ही होता है. ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देने का लाभ मिलता है. शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है. अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से हर तरह की परेशानी दूर होती है.
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जाने क्या है पहले अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
छठ महापर्व चार दिनों तक चलने का पर्व है पहले दिन की शुरूआत नहाय-खाय के साथ की जाती है, वहीं दूसरे दिन व्रती दिन भर उपवास कर शाम के समय खरना करती है और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं , वर्ष 2020 में पहले अर्घ्य का शुभ मुहूर्त शाम के 6.48 में होगा. इस समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देना काफी लाभदायक माना जा रह हैं.
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