Jamshedpur : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा है कि फिटमेंट कमेटी ने जीएसटी में वर्तमान कर दर 5 प्रतिशत को 7 प्रतिशत, 12 प्रतिशत को 14 प्रतिशत और 18 प्रतिशत को 20 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. कर दर में प्रस्तावित यह वृद्धि बेहद तर्कहीन और औचित्यहीन है और फिटमेंट कमेटी की मनमानी है. कपड़ा और फुटवियर पर वृद्धि के मामले में देश के किसी भी व्यापारी संगठन से कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया. जिस तरह से लगातार जीएसटी के स्वरुप को विकृत किया जा रहा है और “एक देश -एक कर” का मजाक उड़ाया जा रहा है, वह बेहद निंदनीय है. उन्होंने कहा की इस वृद्धि के खिलाफ देश भर के व्यापारी लामबंद हो गए हैं और एक वृहद आंदोलन की तैयारी के लिए आगामी 28 नवम्बर को कैट ने देश के सभी राज्यों के कपड़े एवं फुटवियर व्यापारियों एवं सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक वीडियो के जरिए मीटिंग बुलाई है. इसमें आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी. ज्ञात हो कि उल्टे कर ढांचे ( इनवर्टेड ड्यूटी) को हटाने और ठीक करने के लिए जीएसटी कॉउंसिल के निर्णय को लागू करते हुए केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना 18 नवंबर को लागू की है. इससे सभी प्रकार के कपड़े और फुटवियर पर जीएससटी की दर 5% से बढ़ाकर 12% कर बढ़ गया है. यह बेहद अनुचित और तर्कहीन है और सरकार द्वारा परिकल्पित उल्टे शुल्क को हटाने के मूल उद्देश्य को पूरा नहीं करता है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह कहते हुए अफसोस जाहिर किया कि जीएसटी कर ढांचे को सरल और युक्तिसंगत बनाने के बजाए, जीएसटी परिषद ने इसे बेहद जटिल जीएसटी कानून में तब्दील कर दिया है. कैट ने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बताए गए जीएसटी ढांचे के विपरीत बना दिया है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उल्टा कर ( इनवर्टेड ड्यूटी ) ढांचा पूरी तरह से सही है? सूती कपड़ा उद्योग में कोई उलटा कर ढांचा नहीं था, फिर कपड़े और अन्य सूती वस्त्र सामान को 12% के दायरे में क्यों लाया गया. यहां तक कि मानव निर्मित कपड़ा उद्योग में भी वस्त्र, साड़ी और सभी प्रकार के मेडअप के निर्माण के स्तर पर कोई उल्टा कर मुद्दा ही नहीं था. कपड़ा उद्योग के चरणों को समझे बिना इस तरह का कठोर निर्णय एक प्रतिघाती का कदम होगा. कपड़ा और जूते जैसी बुनियादी वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 5% से बढ़ाकर 12% करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना का दिल्ली सहित पूरे देश में व्यापारियों द्वारा विरोध हो रहा है और कैट ने इस तरह की मनमानी के खिलाफ देश भर में एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है. इस आंदोलन का नेतृत्व कैट के अंतर्गत व्यापार के दो महत्वपूर्ण व्यापार एसोसिएशन दिल्ली हिंदुस्तानी मर्चेंटाइल एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन (फोस्टा) द्वारा किया जाएगा. इसमें टेक्सटाइल और फुटवियर के अलावा सभी तरह के व्यापार के व्यापारिक संगठन, उनसे जुड़े कर्मचारी, कारीगर भी शामिल होंगे.
रोटी, कपड़ा व मकान जीवन की मूलभूत सुविधाएं : राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा की रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत वस्तुएं है. रोटी पहले ही बहुत महंगी हो गई, मकान खरीदने की स्थिति आम आदमी की है नहीं और कपड़ा जो सुलभ था उसको भी जीएसटी काउंसिल ने महंगा कर दिया है. आखिर देश के आम आदमी के साथ यह किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है. इस मामले में केवल केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारें भी पूर्ण रूप से दोषी हैं क्योंकि जीएसटी काउंसिल में यह निर्णय सर्वसम्मति से हुए हैं. उन्होंने मांग की कि कपड़ा और फुटवियर पर जीएसटी की बढ़ी दर को तुरंत वापस लिया जाए.
सोना की तस्करी बढ़ने की संभावना
ऑल इंडिया ज्वेलरी और गोल्डस्मिथ फेडरेशन ने कहा कि सूत्रों के अनुसार ज्ञात हुआ है जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने सोने की ज्वेलरी पर जीएसटी की दर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. इससे देश में गोल्ड ज्वेलरी का व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा और सोने की तस्करी भी बढ़ने की संभावना है.
भरतिया व खंडेलवाल बोले- जीएसटी की धज्जियां उड़ाई गईं
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी लागू करने से पूर्व तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने आवास पर कैट को जिस जीएसटी के बारे में बताया था, उसकी धज्जियां उड़ा दी गई हैं. उसके स्थान पर एक बेहद जटिल जीएसटी कर प्रणाली को लागू कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और एक देश-एक कर की घोषणा का खुल कर मजाक उड़ाया जा रहा है. जीएसटी की वर्तमान कर व्यवस्था ने व्यापारियों को मुंशी बना दिया है. इस स्थिति को देश भर के व्यापारी अब और अधिक बर्दाश्त नहीं करेंगे.