Ranchi : झारखंड राज्य खाद्य निगम में अनाज की ट्रांसपोर्टिंग के लिए निकाले गए टेंडर पर सवाल उठ रहे हैं. राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष सोनी ने खाद्य आपूर्ति विभाग की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाते हुए एफसीआई गोदाम से जेएसएफसी तक राशन पहुंचाने के लिए निकलने ट्रांसपोर्टिंग के टेंडर की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. आरोपों के मुताबिक मुंबई की कम्पनी NEML पर झारखंड सरकार का खाद्य आपूर्ति विभाग इस कदर मेहरबान है की एफसीआई से लेकर एसएफसी तक और एसएफसी से लेकर पीडीएस की दुकानों तक राशन पहुंचाने के लिए निकलने वाले लगभग सभी ट्रांसपोर्टिंग के टेंडर में इस कम्पनी को 0.6 प्रतिशत का कमीशन मिलने का आरोप है, जिससे झारखंड सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लग रहा है, और इस कार्य में विभाग के कई पदाधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.
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NEML पर क्यों उठ रहे हैं सवाल ?
खाद्य आपूर्ति मजदूर संघ के अध्यक्ष सोनी के मुताबिक खाद्य आपूर्ति विभाग में राशन के उठाव से लेकर ट्रांसपोर्टिंग तक के सभी कार्यों के लिए निकलने वाला टेंडर की प्रक्रिया विभाग खुद करने के बजाय NEML कम्पनी के माध्यम से करवा रही है, और इस विवाद की शुरुआत यहीं से होती है. NEML राशन के ट्रांसपोर्टिंग के लिए जितने भी टेंडर निकाल रहा है, उसकी शर्तें अपने आप में भ्रष्टाचार की कहानी कह रही हैं. आरोप हैं की NEML द्वारा सभी एफसीआई से एसएफसी तक ट्रांसपोर्टिंग का कार्य कर रहे ठेकेदारों से 10 हज़ार रूपये का एक और 5 हज़ार 900 रूपये का एक यानि कुल 15 900 रूपये की नॉन रिफंडेबल सिक्योरिटी मनी ली जा रही है.
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भ्रष्टाचार में विभाग के बड़े आकाओं का मिल रहा संरक्षण
वहीं प्रखंड स्तर पर राशन की ट्रांसपोर्टिंग के टेंडर में लगभग 9 हज़ार रूपये की नॉन रिफंडेबल सिक्योरिटी मनी जमा करने की शर्त रखी गयी है. ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव इन सभी तथ्यों से अनजान हैं या फिर उन्हे अंधेरे में रख कर सुनियोजित भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन इतना तो तय है की NEML को विभाग के बड़े आकाओं का संरक्षण जरूर मिला हुआ है.