Dehradun : वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा देने के बाद प्रेस कॉफ्रेंस किया. रावत ने कहा कि, लंबे समय से राजनीति में रहा हूं. चार सालों तक पार्टी ने मुझे सीएम के रूप में सेवा देने का मौका दिया. उन्होंने कहा कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि सीएम बन सकता हूं. लेकिन बीजेपी ने मुझे ये मौका दिया.
इससे आगे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि , पार्टी की ओर से मुझे चार साल तक राज्य की सेवा करने का सुनहरा मौका दिया गया. ऐसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा मौका मिलेगा. कहा कि अब पार्टी का निर्णय है कि राज्य के सीएम के रूप में सेवा देने का मौका किसी और को दिया जाना चाहिए. रावत ने कहा कि सीएम के रूप में चाल साल में मुझे 9 दिन कम रह गये हैं.
वहीं जब त्रिवेंद्र सिंह रावत से पत्रकारों ने ये सवाल किया कि उन्हें अपने सीएम पद से इस्तीफा क्यों देना पड़ा. तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसके जवाब के लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा. और ये सवाल आपको पार्टी आलाकमान से ही पूछना होगा.
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कई दिनों से था संशय
यहां बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को शाम 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को अपना इस्तीफा सौंपा. भाजपा के कई विधायकों द्वारा नाराजगी जताने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बने रहने पर संशय जारी था. केंद्रीय नेतृत्व बीते दो दिनों से इस मसले पर मंथन कर रहा था. तभी से अटकलें लगायी जा रही थीं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से छुट्टी हो सकती है. और हुआ भी ऐसा ही.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
उत्तराखंड विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 70 है. भाजपा के पास 56 विधायक, कांग्रेस के पास 11 और 2 विधायक निर्दलीय हैं. एक सीट अभी खाली है. ऐसे में भाजपा को सरकार के मोर्चे पर कोई खतरा नहीं है. लेकिन पार्टी में जारी रार उसके लिए संकट का मुद्दा है. उत्तराखंड में नये मुख्यमंत्री के लिए मंत्री धनसिंह रावत का नाम सबसे आगे चल रहा है. उनके अलावा मंत्री सतपाल महाराज, सांसद अजट भट्ट तथा सांसद अनिल बलूनी का नाम आगे चल रहा है. खबरें हैं कि राज्य में जाति के समीकरण को साधने के लिए भाजपा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के फॉर्मूले को भी अपना सकती है.
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