Jamshedpur : जमशेदपुर के निजी और सरकारी स्कूलों में 15-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए कोविडरोधी टीका अनिवार्य किए जाने और टीका नहीं लेने वाले बच्चों की स्कूल में इंट्री पर बैन का मामला गरमा गया है. इस मामले को तुगलकी फरमान बताते हुए जमशेदपुर अभिभावक संघ ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से इसकी शिकायत की है. संघ की ओर से भेजे गए शिकायत में कहा गया गया है कि वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार के आदेश में इसकी अनिवार्यता जैसी कोई जिक्र नहीं है. वहीं केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि कोविड-19 टीका देना अनिवार्य नहीं है. इस संबंध में अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ. उमेश ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में राइट टू हेल्थ केयर का विकल्प दिया गया है. इसके आधार पर अपने लिए स्वेच्छा से बेहतर स्वास्थ्य विकल्प का चयन कर सकते हैं.
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इसके वाबजूद अनुमंडल पदाधिकारी, धालभूम द्वारा 15 से 18 आयु वर्ग के वे बच्चे जो वैक्सीन नहीं लेंगे उन बच्चों को स्कूल में इंट्री नहीं देने के आदेश का अनुमंडल पदाधिकारी का यह आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का खुला उल्लंघन है. जबकि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण विरोधी होमियोपैथिक दवा के नाम बताए गए हैं. ऐसे में छात्र वैक्सीन की जगह होमियोपैथिक दवा की पूरी खुराक खाकर स्कूल आते हैं, तब भी उन्हें स्कूल में इंट्री नहीं दी जाएगी? बच्चों को स्कूल में इंट्री न देना शिक्षा पाने के उनके मौलिक अधिकार का हनन भी होगा. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर अभिभावक संघ मांग करता है कि वैक्सीन नहीं लेने पर छात्रों को स्कूल में इंट्री नहीं देने जैसे अनुमंडल पदाधिकारी, धालभूम के आदेश पर रोक लगाई जाए. शिकायत की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री झारखंड को भी भेजी गई है.