LagatarDesk : इन दिनों नर्सरी और प्रेप के बच्चों की पढ़ाई भी ट्यूटर के हवाले कर दी जाती है. जो मां ऐसा करती हैं, उनके अपने तर्क हैं. कुछ मां कहती हैं कि बाहर वाले से बच्चा बेहतर पढ़ता है, तो कोई इसे बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए भी जरूरी मानती हैं.
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प्रतिभा कुमारी
नर्सरी/प्रेप में छोटे बच्चों को ट्यूटर के हवाले करना गलत है. इस उम्र में बच्चा को हाथ पकड़ कर और बोल-बोल कर धैर्य से पढ़ाना होता है. यह धैर्य आमतौर पर परिवार वाले ही रख सकते हैं. बच्चों को कैसे पढ़ाएं, यह पैरेंट्स और परिजन ही बेहतर समझते हैं.
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रागिनी सिंह
छोटे बच्चों को बिल्कुल ट्यूशन देना चाहिए. इससे मार्क्स अच्छे आते हैं और बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चे बाहर के लोगों से मिलते हैं. साथ ही दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना है, यह भी सीखता हैं. अतिरिक्त ज्ञान मिलता है. पैरेंट्स तो बाकी समय उनके साथ हैं ही
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स्मृति सौम्या
नर्सरी और प्रेप के बच्चे स्कूल में पढ़ने के बाद होमवर्क आदि बना लें, यही काफी है. यह समय उनके खेलने का है. उन्हें ट्यूशन भेज देंगे तो उनके पास खेलने-कूदने का समय कहां रह जायेगा. शेड्यूल में बंधी जिंदगी इस उम्र में बढ़िया नहीं.
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