LagatarDesk : अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर में आयी सुनामी अब यूरोप पहुंच गयी है. यूरोप के सबसे बड़े बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस का हाल बदहाल है. इस बीच खबर आ रही है कि क्रेडिट सुइस के प्रतिद्वंदी बैंक यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (यूबीएस) ने क्रेडिट सुइस को संकट से उबारने के लिए तैयार हो गया है. इसके लिए यूबीएस ने सरकार से 6 अरब डॉलर की गारंटी मांगी है. इस पैसे को क्रेडिट सुइस के कुछ हिस्सों को बंद करने की लागत और संभावित कानूनी खर्च को पूरा करने में लगाया जायेगा.अगर दोनों बैंकों का विलय होता है तो करीब 10,000 लोगों को नौकरी से बाहर करना होगा.दरअसल क्रेडिट सुइस का भविष्य तय करने के लिए यूबीएस और क्रेडिट सुइस के बोर्ड ने बैठकें की. इसके बाद क्रेडिट सुइस और यूबीएस के बीच इस डील को सहमति मिली. हालांकि इसको लेकर क्रेडिट सुइस या यूबीएस की ओर से कोई बयान नहीं आया है. (पढ़ें, रांची में दो और देवघर में एक कोरोना मरीज मिले)
अपनी वेल्थ पर टिकी रणनीति को बरकरार रखना चाहता है यूबीएस
बता दें कि क्रेडिट सुइस पर छाये संकट के बादल को देखकर कई टॉप इकोनॉमिस्ट अपनी राय दे रहे हैं. इस संकट के दौर में दुनिया के टॉप इकोनॉमिस्ट में से एक नूरील रौबिनी (रौबिनी उन कुछ लोगों में से हैं, जिन्होंने 2008 के वित्तीय संकट की भविष्यवाणी की थी) ने चेतावनी दी है कि अगर क्रेडिट सुइस को समय पर पूंजी नहीं मिली, तो संकट गंभीर हो सकता है. जिसके बाद से स्विस रेग्युलेटर्स क्रेडिट सुइस के प्रतिद्वंदी बैंक यूबीएस पर बैंक अधिग्रहण को लेकर दबाव बना रहा है. लेकिन यूबीएस और क्रेडिट सुइस जबरदस्ती किये जाने वाले विलय के पक्ष में नहीं हैं. यूबीएस अपनी वेल्थ पर टिकी रणनीति को बरकरार रखना चाहता है. वहीं क्रेडिट सुइस से जुड़े जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है. लेकिन इस हालात में स्विस रेग्युलेटर्स की ओर से यूबीएस पर क्रेडिट सुइस के अधिग्रहण का दबाव है.
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क्रेडिट सुइस बैंक दिवालिया हुआ तो भारत पर नहीं पड़ेगा सीधा असर
माना जा रहा है कि अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग संकट का भारत के वित्तीय सेक्टर पर कुछ खास असर नहीं पड़ने वाला है. इसके पीछे कई वजहें गिनाई जा रही हैं. इनमें से एक ये है कि भारत के बैंकिंग और फाइनेंसियल सेक्टर के नियम और कानून दुनिया के अन्य देशों से अलग हैं. लेकिन क्रेडिट सुइस भारत के टॉप 15 विदेशी बैंकों में से एक है. भारत में इसके पास 20,000 करोड़ रुपये की एसेट वैल्यू है. फाइनेंसियल सर्विस प्रोवाइडर जेफरीज के अनुसार, क्रेडिट सुइस की 70 प्रतिशत संपत्ति सरकारी सिक्योरिटी के रूप में है. बैंक का कुल ऑफ-बैलेंस शीट आइटम इसकी कुल संपत्ति का सात गुना है. ये भारत में 14वां सबसे बड़ा विदेशी बैंक है. जेफरीज ने यह भी कहा कि भारत में इस बैंक की कुल देनदारियां 73 प्रतिशत हैं और 96 प्रतिशत उधारी का टेन्योर 2 महीने तक का है. बैंक का डिपॉजिट बेस 28 अरब रुपये से छोटा है, जो कुल देनदारियों का 20 प्रतिशत है. वही, शॉट टर्म लायबिलिटीज का हिस्सा अधिक है, जो लिक्विड जी-सेक में है. क्रेडिट सुइस की भारत में सिर्फ एक ब्रांच है, जो मुंबई में स्थित है. भारत की बैंकिंग सिस्टम में क्रेडिट सुइस की ये हिस्सेदारी मात्र 0.1 फीसदी की है. अगर क्रेडिट सुइस बैंक दिवालिया हो भी जाता है, तो भारत में इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा.
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