Ranchi: हर दिन की तरह सोमवार को भी सदन में काफी हंगामा मचा. विपक्ष के विधायकों ने कई मुद्दों को लेकर सदन में हंगामा किया. पहली पाली में सदन की कार्यवाही सिर्फ 18 मिनट चली. हंगामा को देखते हुए विधानसभा स्पीकर ने 11: 33 पर सदन की कार्यवाही 12 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
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विपक्ष के विधायक वेल में पहुंचकर हंगामा करने लगे
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सिर्फ 3 मिनट में ही विपक्ष के विधायक बिजली बिल के भुगतान पर मुकदमे के मुद्दे
को लेकर वेल में उतर गए. जिसके बाद वह हंगामा करने लगे. वहीं कार्यस्थगन की सूचना पढ़ते वक्त दोबारा यह मुद्दा गरमाया. विधानसभा स्पीकर ने यूं तो कार्य स्थगन को अमान्य कर दिया. लेकिन इस मामले पर बीजेपी के विधायकों ने जमकर हंगामा किया.
चलते सदन में होगी चर्चा- स्पीकर
इस मामले पर विनोद सिंह भी विपक्ष का साथ देते दिखे. उन्होंने कहा कि 2 दिन पहले ही सरकार की तरफ से यह आश्वासन दिया गया था, कि बिजली बिल भुगतान नहीं करने पर किसी पर मुकदमा नहीं दर्ज होगा. लेकिन बीते दो दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें मुकदमा दर्ज हुआ है. इसी बात को लेकर सदन में विपक्ष और विनोद सिंह ने सरकार से जवाब मांगा. लेकिन सरकार की तरफ से किसी तरह का माकूल जवाब नहीं मिला. स्पीकर ने कहा कि चलते सदन में इस पर चर्चा होगी.
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विस्थापन की समस्या जल्द ही दूर होगी: सीएम
ध्यानाकर्षण के दौरान बंधु तिर्की ने सदन में विस्थापन के मामले को लेकर सवाल किया. मामला मांडर विधानसभा क्षेत्र का था. लेकिन इस मामले पर विपक्ष के कुछ नेता जैसे ढुल्लू महतो, बिरंची नारायण, राज सिन्हा और प्रदीप यादव भी साथ देते दिखे.
आयोग गठन करने की मांग कर डाली
बंधु तिर्की के सवालों का जवाब जोबा मांझी दे रही थी. बंधु तिर्की ने विस्थापन की समस्या को एक बड़ी समस्या बताते हुए इस पर विस्थापित-पुनर्वास आयोग के गठन की मांग कर डाली. जिस का समर्थन सदन में मौजूद कई विधायकों ने किया. इसी बीच सीएम हेमंत सोरेन सदन में दाखिल हुए. जैसे वो अंदर आए विपक्ष और बंधु तिर्की ने मामले पर आयोग गठन करने की मांग कर डाली.
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विपक्ष मामले पर क्रेडिट लेने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता
पूरे मामले को समझने के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि लगता है विपक्ष मामले पर क्रेडिट लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता. इससे पहले विपक्ष को लगातार 10 सालों से मामले पर कोई चिंता नहीं थी. अपनी बात को रखते हुए हेमंत सोरेन ने आगे कहा कि यही सरकार है जिसने पहली बार झारखंड में अधिग्रहित की गई जमीन रैयतों को वापस दिलाई है. कहां की यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा. विस्थापन पूरे राज्य की समस्या है.
बोकारो स्टील प्लांट बने करीब 100 साल होने को है लेकिन अभी तक वहां की विस्थापन की समस्या का कोई समाधान निकल कर सामने नहीं आया है. सरकार इस मामले पर काफी गंभीर है और बहुत जल्दी इस मामले पर निर्णय लिया जाएगा.
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