Rana Gautam
Ranchi : झारखंड में मॉनसून आ गया है, जो खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय है. ये समय किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है. लेकिन राज्य के किसानों के लिए बड़ी मुसीबत है. झारखंड में यूरिया और डीएपी की कमी है. इससे खेती-बाड़ी पर असर पड़ रहा है. दरअसल, झारखंड में यूरिया और डीएपी की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की कंपनी मैट्रिक फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को काम सौंपा था. कंपनी को 15 हजार मैट्रिक टन की आपूर्ति झारखंड में करना था. कृषि विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिमी बंगाल की उक्त कंपनी कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन के समय से ही बंद है.
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अफसरों ने नहीं की थी कोई पड़ताल
ऐसे में समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार के अफसरों ने बगैर जमीनी पड़ताल किये ही खाद आपूर्ति का काम कर दिया था. सूत्रों का कहना है कि झारखंड में खाद की सप्लाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से तीन निजी कंपनियों को कार्य आवंटित किये गये थे. उन तीन कंपनियों में सबसे ज्यादा खाद की आपूर्ति पश्चिम बंगाल की ही कंपनी को करना था. चूंकि कंपनी ने यूरिया और डीएपी की सप्लाई झारखंड में नहीं की, लिहाजा राज्य में इसकी कमी हो गयी है. इसके चलते इसकी कालाबाजारी की भी शिकायतें मिल रही हैं. इसी के आलोक में बीते बुधवार को गुमला और खूंटी के कई प्रखंडों में कृषि विभाग की ओर से छापेमारी भी की गयी थी.
इम्पोरटेड यूरिया को प्रोत्साहन
इन दिनों कृषि विभाग इम्पोरटेड यूरिया के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दे रहा है. दरअसल इसकी कम मात्रा में आवश्यकता पड़ती है. इससे खेती में कम लागत पड़ती है. धीरे-धीरे घुलने की वजह से यह सामान्य यूरिया के मुकाबले लंबी अवधि तक फसलों को पोषक तत्व प्रदान करता है. इसकी लीचिंग भी कम होती है.
क्या कहती हैं कृषि निदेशक
कृषि निदेशक निशा उरांव का कहना है कि किसानों की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री बादल बेहद ही संवेदनशील हैं. पूरी स्थिति पर उनकी नजर है. कृषकों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है.
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