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सैनिटरी पैड का इस्तेमाल महिलाओं के लिए नुकसानदेह, कैंसर और बांझपन का बढ़ा खतरा! स्टडी में खुलासा

by Lagatar News
24/11/2022
in हेल्थ
सैनिटरी पैड का इस्तेमाल महिलाओं के लिए नुकसानदेह, कैंसर और बांझपन का बढ़ा खतरा! स्टडी में खुलासा
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Lagatar Desk : आज भारत की अधिक लड़कियां सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं. मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है. नई दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन-टॉक्सिक्स लिंक के एक अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है. अध्ययन के मुताबिक भारत में बेचे जाने वाले सैनिटरी नैपकिन के अधिकांश लोकप्रिय ब्रांड में हानिकारक रसायन होते हैं. जिससे कैंसर होने के खतरे के साथ- साथ बांझपन की समस्या भी हो सकती है.

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सैनिटरी नैपकिन में कई तरह के कैमिकल मिलते है 

इस स्टडी में शामिल डॉक्टर अमित ने बताया , कि हर जगह आराम से मिल जाने वाली सैनिटरी नैपकिन में कई ऐसे कैमिकल मिले हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक हैं. अध्ययन के दौरान सैनिटरी पैड में नुकसान देह कैमिकल जैसे कारसिनोजन, रिप्रोडक्टिव टॉक्सिन, एंडोक्राइन डिसरप्टर्स और एलरजींस मिले हैं. इस अध्ययन का शीर्षक ‘रैप्ड इन सीक्रेसी’ था.

थैलेट्स से कई तरह की बीमारियां होती है 

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सैनिटरी पैड में उनकी विभिन्न परतों को जोड़ने और उनकी इलास्टिसिटी (लोच) बढ़ाने के लिए थैलेट्स का उपयोग किया गया है. थैलेट्स का उपयोग प्लास्टिसाइज़र के रूप में किया जाता है. प्लास्टिसाइज़र वो रसायन होते हैं जो उत्पाद को नरम, लचीला बनाने और सतह पर इसके घर्षण को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं. शोधकर्ताओं ने बाजार में उपलब्ध 10 विभिन्न प्रकार के सैनिटरी पैड- ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक – को जांचा.  रिपोर्ट में थैलेट्स से होने वाली कई बीमारियों की तरफ इशारा किया है. इसमें एंडोमेट्रियोसिस, गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं, भ्रूण के विकास में मुश्किल, इंसुलिन रेसिस्टेन्स, उच्च रक्तचाप जैसी कई समस्याएं शामिल हैं.

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64 फीसदी भारतीय लड़कियां सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं

एनजीओ की एक अन्य प्रोग्रोम कोर्डिनेटर और स्टडी में शामिल अकांकशा मेहरोत्रा ने बताया कि सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि सैनिटरी पैड के इस्तेमाल की वजह से बीमारी बढ़ने का खतरा ज्यादा है. क्यों कि महिला की त्वचा के मुकाबले वजाइना पर इन गंभीर कैमिकलों का ज्यादा असर होता है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 15 से 24 साल के बीच करीब 64 फीसदी ऐसी भारतीय लड़कियां हैं जो सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. भारत में सैनिटरी प्रॉडक्ट्स का एक बड़ा बाजार है. साल 2021 में ही सैनिटरी नैपिकन का कारोबार 618 मिलियन डॉलर रहा.

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