माता का आगमन और गमन दोनों है शुभ, नौ दिनों का होगा नवरात्र
Vijay Sharma
Chatra : मां दुर्गा की आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ बुधवार से हो रहा है. कलश स्थापना के साथ ही माता रानी की आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र और चैती दुर्गा पूजा प्रारंभ हो जाएगी. कई वर्षों के बाद इस बार वासंतिक नवरात्र पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दौरान माता रानी का पूजन-अर्चन का विशेष लाभ भक्तों को मिलेगा. यह जानकारी देते हुए पं. चेतन पांडेय ने बताया कि वासंतिक नवरात्र इस बार पूरे नौ दिनों का होगा. कलश स्थापना बुधवार को प्रतिपदा तिथि, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र और शुक्ल एवं ब्रह्म योग के विशेष योग में होगी. इस बार कलश स्थापना के लिए दिन भर शुभ मुहूर्त होगा. प्रातः काल सूर्योदय सुबह 6:00 बजे से लेकर दिन भर श्रद्धालु कलश स्थापित कर सकते हैं. प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद माता दुर्गा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा होगी. फिर दुर्गा सप्तशती पाठ का प्रारंभ होगा. दुर्गा अष्टमी का व्रत 29 मार्च और महानवमी 30 मार्च को होगी.
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नौका पर चढ़कर आएगीं महामाया, हाथी पर होगा मां जगदंबा का गमन
इस बार माता रानी का आगमन नौका और मां जगदंबा का गमन हाथी पर होगा. धर्म शास्त्रों के अनुसार इस बार माता रानी का आगमन और गमन दोनों शुभ है. नौका पर पर माता रानी की आगमन सिद्धि प्राप्ति कराने वाला होगा, जबकि गमन राजा और प्रजा दोनों के लिए शुभ होगा और सृष्टि कारक होगा.
दुर्गा, सूर्य और विष्णु की उपासना का महापर्व है वासंतिक नवरात्र
वैसे तो लोग वासंतिक नवरात्र में शक्ति की उपासना करते हैं. परंतु यह नवरात्र आदि शक्ति दुर्गा, भगवान भास्कर और श्री हरि नारायण की उपासना का भी महापर्व है. यह पहला पर्व है जब एक साथ मां दुर्गा, भगवान सूर्य और विष्णु की आराधना होगी. नवरात्रि में आदि शक्ति दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, तो वहीं नवरात्रि काल के दौरान ही चैती छठ के मौके पर भगवान भास्कर की आराधना होती है. श्री हरि नारायण का रामा अवतार का महापर्व रामनवमी भी इसी दौरान मनाया जाता है.
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