Chaibasa : कोल्हान विश्वविद्यालय के नाम पर लगभग 80 एकड़ जमीन की स्वीकृति मिलने के बाद सोमवार को सीमांकन कराने पदाधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. यह मामला खूंटपानी प्रखंड के पांड्राशाली के बुरूईगुटू गांव का है. ग्रामीणों ने चिन्हित स्थान को किसी भी हाल में विश्वविद्यालय को नहीं देने की बात कही. ग्रामीणों ने कहा कि उनकी जान भी चली जाएगी तो भी वे जमीन नहीं देंगे. पदाधिकारियों के समझाने के बाद भी ग्रामीणों ने सीमांकन कार्य नहीं करने दिया. ग्रामीणों ने कहा कि इस क्षेत्र में आदिवासियों की पारंपरिक रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना होती है. मौके पर खूंटपानी अंचल अधिकारी रवि कुमार आनंद, अमीन, सीआई हरीश पात्रो, अमीन अर्जित महतो तथा पांड्राशाली ओपी प्रभारी चंदा उरांव के अलावा काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे. ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए आखिरकार अधिकारियों को बैरंग लौट जाना पड़ा.
आदिवासियों की परंपरा से जुड़ा साल वृक्ष इसी जमीन पर
ग्रामीणें ने कहा कि इस प्लॉट में 26 लाभुक को 1988-89 में बिहार सरकार के विशेष अभियान के तहत बंदोबस्ती प्राप्त है. इस क्षेत्र में एकमात्र स्थल है जहां आदिवासियों की परंपरा से जुड़ा साल वृक्ष है जिसका बाह पर्व में उसके फुल, पत्ता का उपयोग होता है. साल, सोसो, केंदू का वृक्ष इस स्थल पर भरा हुआ है. यादि कोल्हान विवि के नाम यह जमीन हो जायेगी तो पूरा का पूरा वृक्ष को कटवा दिया जायेगा. जिससे पर्यावरण भी दूषित होगा. ग्रामीणों ने कहा कि आदिवासी परंपरा के तहत इस प्लॉट में आराधना होती है, देशऊली स्थल भी माना जाता है. यहां वृक्ष चंदा की राशि से लगाया गया है. ग्रामीणें की कड़ी मेहनत के बाद इस क्षेत्र में वृक्ष लहलहा रहा है.
स्थानीय लोगों को नहीं मिलता नामांकन
ग्रामीणें ने कहा कि आदिवासियों के जमीन को लेकर सरकार काम करती है, लेकिन ग्रामीणों के हित में नहीं करती है. विश्वविद्यालय बनने के बाद स्थानीय बच्चों का नामाांकन तक नहीं होता है. स्थानीय लोगों को ठगने का काम सरकार कर रही है. किसी भी हाल में जमीन कोल्हान विवि के नाम नहीं होने दी जाएगी.
पीजी विभाग व हॉस्टल बनने का प्रस्ताव तैयार कर चुका है विश्वविद्यालय
कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पांड्राशाली क्षेत्र में पीजी विभाग तथा हॉस्टल बनाने का एक प्रस्ताव बीते छह साल पूर्व ही तैयार किया गया था. लेकिन जमीन का सीमांकन नहीं होने की वजह से यह ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन सरकार ने जिला प्रशासन को कोल्हान विवि के नाम से चिन्हित जमीन को सीमांकन कर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. जिसके बाद जमीन का सीमांकन कार्य चल रहा है.
कोल्हान विवि के नाम पर जमीन जहां भी है, उन्हें चिन्हित करने को लेकर पत्राचार किया गया है. सरकार तीन-चार स्थानों पर कोल्हान विवि के नाम पर जमीन देने की घोषण कर चुकी है. लेकिन कोल्हान विवि के नाम पर अबतक जमीन संबंधित कागजात नहीं है. विवि के हिस्से में जितनी भी जमीन है, उन सभी जमीन को विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने को लेकर प्रशासन से पत्राचार किया गया है.
डॉ पीके पाणी, प्रवक्ता, कोल्हान विवि