Ranchi: होली के दिन 14 मार्च को गिरिडीह में हुई हिंसक घटना को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव व प्रवक्ता विनोद पांडेय ने आज एक प्रेस बयान जारी कर दावा किया है कि हेमंत सोरेन की सरकार के रहते झारखंड को धर्म व जाति के नाम पर बांटने की साजिश सफल नहीं होगी.
उन्होंने कहा है कि गिरिडीह में उपद्रव और हिंसा फैलाने की साजिश को जिला प्रशासन ने नाकाम कर दिया. प्रशासन ने पूरी तत्परता से कार्रवाई कर समाज में नफरत फैलाने वालों के मंसूबे को नाकाम कर दिया.
उन्होंने नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह और उनकी पार्टी भाजपा हर घटना पर राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते हैं. बाबूलाल मरांडी के बयानों से भाजपा का राजनीतिक चरित्र उजागर हो रहा है.
भाजपा को राज्य में अमन-चैन पसंद नहीं है. लेकिन उन्हें यह याद रखना चाहिए कि झारखंड में हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार है. भोली-भाली जनता को उकसाने का प्रयास कभी सफल नहीं होगा.
गिरिडीह में हिंसा फैलाने की साजिश को नाकाम किया प्रशासन ने.
हिंसक घटनाओं की आड़ में भाजपा के नेता नफरत फैलाने में लगे हैं.
असमाजिक तत्वों की कोई धर्म-जाति नहीं होती.
प्रशासन को निष्पक्ष कार्रवाई करने दें भाजपा के नेता.
सांप्रदायिक नफरत फैलाने वालों के विरुद्द कड़ी कार्रवाई की जाए.
विनोद पांडेय ने कहा है कि भाजपा के लोग जनता को उकसाने का प्रयास कर रहे हैं. कुछ लोग प्रशासन पर दबाव बनाना चाहते हैं. इस प्रकार की सांप्रदायिक मानसिकता रखने वालों के खिलाफ प्रशासन को कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों को धर्म, जाति, समुदाय में बांट कर विद्वेष फैलाने के लिए साजिश रचने से बाज आने वाली नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जनता के विकास और उन्नति के लिए भाजपा नेताओं के पास कोई सकारात्मक सोच नहीं है.
भाजपा के नेताओं के पास राज्य के विकास के लिए का कोई विजन नहीं है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य प्रगति कर रहा है तो भाजपा के नेताओं को यह पच क्यों नहीं रहा है.
भाजपा हर मामले को सांप्रदायिक चश्मे से देखती है. चुनाव में जनता ने इनका सूपड़ा साफ कर दिया. राज्य के किसान, मजदूर, गरीब, आदिवासी, मूलवासी, महिलाओं, अल्पसंख्यक, पिछड़ों के विकास के लिए भाजपा के नेता कभी आगे नहीं आते. ये सिर्फ पूंजीपति वर्ग पर केंद्रित राजनीति करते हैं.
विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा के नेता यह जानते हैं कि प्रशासन की कार्रवाई कानून के तहत होती है. अपराधियों पर नियंत्रण भी विधिसम्मत होती है. शासन ना सिर्फ अप्रिय घटनाओं को रोकने बल्कि घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण और कानून व्यवस्था को हाथ में लेने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी कर रही है.