Patna : वीआईपी चीफ मुकेश सहनी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के तीनों विधायकों ने पाला बदल लिया है. राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्रीलाल यादव ने विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचकर उन्हें पत्र सौंपा है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका समर्थन बीजेपी के साथ है. ‘
यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे
मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.
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नहीं मिला विधायकों का साथ
मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर रखे थे. उन्होंने सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश की, लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला. साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था. साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है. यह उनका निजी फैसला है. इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं. वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं.
बिहार चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी थी वीआईपी
दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नाटकीय घटनाक्रम के तहत महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में छोड़कर मुकेश सहनी बीजेपी के साथ चले गए थे. तब बीजेपी ने अपने कोटे से उनको 11 सीटें दी थी. जिनमें ब्रह्मपुर, बोचहां, गौरा बोराम, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, मधुबनी, केवटी, साहेबगंज, बलरामपुर, अली नगर और बनियापुर में वीआईपी ने चुनाव लड़ा था. खुद मुकेश सहनी सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर से उम्मीदवार थे.
एमएलसी का कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा
वीआईपी के 4 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि वो अपनी सीट नहीं बचा पाए थे, इसके बावजूद बीजेपी ने विधान परिषद के रास्ते उनको नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनवाया. उनके एमएलसी का कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा. बीजेपी के रुख से लगता नहीं कि उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजा जाएगा. वीआईपी तीनों विधायकों का झुकाव बीजेपी की तरफ है. ऐसे में इसकी संभावना कम ही है कि वे लोग सहनी के साथ जाएंगे.
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