Soumitra Roy
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वर्ष 2016-17 के बजट में वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का ऐलान किया गया था. इसकी हक़ीक़त जानकर हैरान रह जाएंगे. बिज़नेस स्टैण्डर्ड ने NSSO के आंकड़ों के साथ इस पर एक विश्लेषण किया है. इसके मुताबिक, 2018-19 में एक किसान परिवार की प्रतिमाह औसत आय 10218 रुपये थी, जो 2012-13 के मुकाबले 6 साल में 60% बढ़ी.
हालांकि ग्रामीण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से तुलना करें तो यह वृद्धि 21% निकलती है. इस बीच देश की जीडीपी 52% बढ़ गई. ज़रा ठहरिए. इस 21% बढ़ोतरी का राज़ यह है कि किसानों को मजदूरी से हुई आय दोगुनी होकर 4063 रुपये प्रति माह पर पहुंच गई. यानी मोदी सरकार ने किसानों को मजदूर बना दिया. (ग्राफ देखें)
यही नहीं, वर्ष 2012-13 में प्रत्येक किसान पर 47 हज़ार का कर्ज था, जो 2018-19 में बढ़कर 74121 करोड़ हो गया. यानी मोदी राज में किसान कर्जदार हुए. इसका मतलब यह भी हुआ कि मोदी राज के 6 साल में अगर किसानों की आय 60% बढ़ी तो कर्ज़ 57% बढ़ गया.
नतीजा यह हुआ कि देश में प्रति किसान रकबा 0.806 हेक्टेयर से घटकर 0.558 हेक्टेयर पर आ गया. यानी ज़मीन बिकी. किसने खरीदी? मोदी के दोस्तों ने? वर्ष 2013 में भूमिहीन किसान परिवार 7.4% थे, जो वर्ष 2019 में 8.2% हो गए. बचे-खुचे किसान भी मोदी सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति से परेशान हैं, जो उनके लिए लगातार… घाटे का सौदा बनी हुई है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.