NewDelhi : कॉलेजियम की सिफारिशों को रोका जाना भाजपा की कट्टरता और बदले की भावना को दिखाता है. यह ट्वीट करते हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मोदी सरकार की हल्ला बोला है. बता दें कि कॉलेजियम द्वारा जजों के प्रस्तावित नामों को कॉलेजियम को वापस भेजे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी की है.
“Once Collegium reiterates a name, it is end of chapter… government is crossing the Rubicon by keeping names pending like this,” : SC
11 reiterated names not cleared by Centre – BJP governed by homophobia, bigotry & revenge even in vital judicial appointments. Shame. pic.twitter.com/lsrUNOTvb3
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) November 28, 2022
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कॉलेजियम ने सिफारिश कर दी तो बात वहीं खत्म हो जानी चाहिए
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पोस्ट करते हुए लिखा, एक बार कॉलेजियम ने सिफारिश कर दी तो बात वहीं खत्म हो जानी चाहिए. उन्होंने आगे लिखा, केंद्र द्वारा 11 नामों को मंजूरी न देना, महत्वपूर्ण न्यायिक नियुक्तियों में भी भाजपा के होमोफोबिया, कट्टरता और बदले की भावना को दर्शाता है.यह शर्म की बात है.
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केंद्र सरकार के रवैये से न्यायिक प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है
जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नामों को रोके जाने पर नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नसीहत दी थी कि इस रवैये से न्यायिक प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है. ऐसे में आपको कानून तो मानना ही होगा. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने सोमवार को कहा था कि तीन सदस्यीय पीठ ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक समयसीमा तय की है. इसका पालन होना ही चाहिए, पर ऐसा हो नहीं रहा. जस्टिस कौल के अनुसार कई बार SC इसे लेकर नाराजगी जता चुका है.
दो माह से पूरी प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है
पीठ का कहना था कि कई बार सरकार सिफारिश वाले नामों में से बस एक को ले लेती है. इससे वरिष्ठता का पूरा क्रम गड़बड़ा जाता है. कहा था कि कॉलेजियम वरिष्ठता को ध्यान में रखकर नामों की सिफारिश करता है. इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को चेतावनी भी दी थी कि दो माह से पूरी प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है. इस मसले को हल करें, नहीं तो हम इस पर न्यायिक तौर से फैसला लेने को विवश होंगे.
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