Lagatar Desk: वनस्पति जगत का एक सबसे पुराना रहस्य वैज्ञानिकों ने सुलझा लिया है. यह रहस्य यह था कि आखिर सूरजमुखी का फूल सूर्य की दिशा में ही क्यों मुंह रखता है. इस रहस्य को सुलझाने पर मिले परिणाम के साथ सौर ऊर्जा के प्रभावी दोहन की संभावनाएं जुड़ी हैं. सूरजमुखी का नाम सुनकर अक्सर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. पीली पत्तियों और काले केंद्र वाला यह फूल कुछ ऐसा लगता है मानो सोशल मीडिया पर इस्तेमाल होने वाली कोई स्माइली हो.
सूरजमुखी द्वारा खुद को सूर्य की दिशा में घुमा लेने को ‘हीलियोट्रोपिज्म’ कहा जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया होती कैसे है, इस बात की जानकारी अब तक नहीं थी. अब एक शीर्ष विश्वविद्यालय ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया’ में काम करने वाले छह अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक दल ने पाया है कि तने में एक दिशा में होने वाली चयनात्मक वृद्धि के कारण सूरजमुखी सूर्य की दिशा में देखता है.
रात में सूरजमुखी अपनी दिशा फिर से बदलकर पूर्व की तरफ कर लेते हैं और अगले दिन सूर्य के उगने का इंतजार करते हैं. ये प्रक्रिया नियमित चलती है. अब सवाल उठता है कि आखिर हीलिओट्रॉपिज्म क्या होता? जिसके चलते सूरजमुखी के फूल सूर्य की दिशा की तरफ गति करते हैं.
साल 2016 में हुए एक रिसर्च में इस बात का पता चला कि जिस तरह इंसानों के भीतर एक बायोलॉजिकल क्लॉक होता है. ठीक उसी तरह सूरजमुखी के फूलों में भी एक खास तरह की व्यवस्था होती है, जिसे हीलिओट्रॉपिज्म के नाम से जाना जाता है. इसे सूरजमुखी की जैविक घड़ी भी कहा जाता है. ये सूर्य की किरणों को डिटेक्ट करके फूल को उस तरफ मोड़ने के लिए प्रेरित करती है, जिस तरफ सूर्य है.
इस रिसर्च में इस बात का भी पता लगा कि ये फूल रात में आराम करते हैं और दिन में सूर्य की रोशनी पाते ही एक्टिव हो जाते हैं. सूर्य की रोशनी जैसे-जैसे तेज होती है ठीक उसी तरह सूरजमुखी के फूलों की सक्रियता भी बढ़ती है. हीलिओट्रॉपिज्म ही वह प्रक्रिया है, जिसके कारण सूरजमुखी के फूल का मुंह सूर्य की दिशा में होता है.
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