Faisal Anurag
शांत और समाचारों से अक्सर गायब रहने वाला लक्षद्वीप उबल रहा है. यह उबाल वहां के प्रशासक प्रफ्फुल खोड़ा पटेल के खिलाफ है. लक्षद्वीप के निवासियों का आरोप है कि प्रशासक इस लक्षद्वीप को तबाह कर रहे हैं. यह विवाद पटेल के चार फैसलों के बाद उठ खड़ा हुआ है. लक्षद्धीप के परंपारिक जीवन और सांस्कृतिक विविधता को नष्ट किए जाने का भी आरोप है. लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन, 2021 के नए प्रस्ताव को लक्षद्धीप के लिए खतरनाक बताया जा रहा है. इस प्रस्ताव के अनुसार एडमिनिस्ट्रेटर को टाउन प्लानिंग या किसी दूसरे डेवलपमेंट एक्टिविटी के लिए यहां के स्थानीय लोगों को उनकी संपत्ति से हटाने या ट्रांसफर करने का अधिकार दिया गया है. इसके अलावे शराबबंदी को खत्म किए जाने और खानपान के क्षेत्र में दखल देना भी बड़ा कारण है. प्रशासक के आदेश के बाद केरल से लक्षद्वीप के लिए आनेजाने वाले मार्ग के बजाय कर्नाटक से खोले जाने के आदेश भी विवाद का कारण बना है.
लक्षद्वीप पारंपरिक रूप से केरल के सांस्कृतिक मिजाज से अपना अपनत्व का रिश्ता महसूस करता रहा है. लेकिन पटेल ने इसे बंद कर दिया है. पटेल का इरादा साफ है वे टाउन प्लानिंग के नाम पर इस प्राकृतिक दवीप को निजी क्षेत्रों के लिए खोलना चाहते हैं. पटेल गुजरात में गृहमंत्री रह चुके हैं. उनके कार्यकाल के अनेक विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों रहे हैं. अभी तक लक्षद्वीप में प्रशासक के बतौर नौकरशाहों की नियुक्ति की जाती रही है. लेकिन पहली बार एक राजनीतिक नियुक्त किया गया है.
लक्षद्वीप कभी भी राजनीतिक विवाद का केंद्र नहीं रहा है. लेकिन पटेल के निर्णयों ने भारत के इस छोटे से अप्रतिम सौंदर्य वाले लक्षद्वीप समूह में हलचल मचा दिया है. लक्षद्वीप एक तरह से अपराध मुक्त द्वीप मानता रहा है. लेकिन पटेल ने यहां एक अपराध नियंत्रण कानून भी बनाया है, जिसे वहां के लोग गुंडा एक्ट कह रहे हैं. लक्षद्वीप के लोगों के अनुसार, नागरिकों को आतंकित करने के लिए इसे बनाया गया है. सवाल उठता है कि एक ऐसी जगह पर इन फरमानों की क्या जरूरत है जो आमतौर पर दुनिया से अलग प्रकृति के बीच मग्न रहने के लिए विख्यात रहा है. वहां जमीन नियंत्रण को लेकर जो प्रस्ताव हैं, वे इस अर्थ में बेहद खतरनाक हैं कि एक द्वीप समूह आने वाले दिनों में प्राकृतिक विनाश का केंद्र बन सकता है. क्योंकि यह तो साफ है कि भाजपा के पटेल का इरादा सामान्य नहीं है.
राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को लेकर जिस तरह की नीतियों को केंद्र सरकार अपना रहा है, उससे क्षेत्रीय असंतोष का ही माहौल बनता दिख रहा है. द्वीप समूहों पर आखिर किसकी निगाह लगी है, जिसके लिए कानूनों में बदलाव किए जा रहे हैं. शराबबंदी को खत्म किए जाने का फैसला बताता है कि शराब माफिया इस द्वीप समूह को भी बख्शना नहीं चाहता है. दादर नगर हवेली के सांसद डेलकर के आत्महत्या नोट को याद किया जाना चाहिए, जिसे उन्होंने पटेल के नाम ही लिखा था. डेलकर के बेटे अभिनव ने बाद में पटेल पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. राज्यसभा सांसद डॉ. वी शिवदासन के अनुसार “ये देश के संघीय ढांचे के खिलाफ एक हमला है. हम लोगों को लामबंद करेंगे और बीजेपी के इन नफरत भरे एजेंडे से लड़ेंगे.” उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ”एडमिनिस्ट्रेटर बीजेपी के नफरत के झंडे को थामे हुए हैं और तेजी से लक्षद्वीप को बड़ी जेल में बदल रहे हैं.”