Girirsh Malviya
लखीमपुर खीरी कांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा मुख्यद आरोपी बेटा आशीष मिश्रा कोर्ट में पेशी के दौरान मूंछों पर ताव देता हुआ क्यों न नजर आए? जब उनके पूज्य पिताजी यानि केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा हत्या के आरोप में स्वयं जमानत पर छूटे हुए हो!
जी हां, केंद्रीय गृह राज्यव मंत्री अजय मिश्रा खुद एक हत्या के केस में आरोपी है. यह केस 22 साल पुराना है. 8 जुलाई 2000 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र के तिकुनिया कस्बे में 22 साल के नौजवान प्रभात गुप्ता की हत्या हुई थी. हत्या का आरोप हमारे वर्तमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर लगा था. यह एक राजनितिक हत्या थी. प्रभात गुप्ता जिला पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे थे और अजय मिश्र टेनी अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे. जिसके चलते दोनों के बीच विवाद हुआ और प्रभात गुप्ता की हत्या कर दी गई.
हत्या हुई तो मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन 2004 में गवाह होने के बाद भी लखीमपुर न्यायालय से अजय मिश्रा टेनी को दोष मुक्त कर दिया गया. इस आदेश के खिलाफ प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता ने रिवीजन हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर लखीमपुर न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए हत्या में तथ्यों को स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया. साथ ही राज्य सरकार की ओर से भी उच्च न्यायालय में बरी किए जाने के विरुद्ध अपील दाखिल की गई.
वर्ष 2013 में चीफ जस्टिस ने मामला सुनने का आदेश दिया. वर्ष 2018 में डबल बेंच के सामने मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई और आदेश सुरक्षित रखा गया. लेकिन 6 महीने तक फैसला नहीं आने पर वादी स्व संतोष गुप्ता के बेटे और मृतक प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने कोर्ट में एक अपील दाखिल की. उनकी अपील के बाद फिर से मुकदमे की सुनवाई का आदेश हुआ.
न्यायालय का हाल जानते ही हैं, मामला फिर से लटक गया और 4 साल तक सुनवाई की तारीख ना मिलने के कारण राजीव गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में रिट दाखिल की. साथ ही उन्होंने जनवरी 2022 में पुनः हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए आवेदन किया. आखिरकार न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायाधीश सरोज यादव की डबल बेंच ने 7 अप्रैल 2022 को मामले की फाइनल सुनवाई की तारीख 16 मई 2022 तय की है.
16 मई को अब प्रभात गुप्ता की हत्या में अंतिम सुनवाई के बाद फैसला आएगा. तो ऐसे हैं हमारे मंत्री जी! फिर आप ही बताए कि उनके पुत्र द्वारा कोर्ट में पेश होते वक्त मूछों पर ताव देने में क्या गलत है? हमारी न्याय व्यवस्था की हालत से वह अच्छी तरह से परिचित हैं!
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.