वैक्सीन की दो कीमतें, 62 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार द्वारा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का तरीका बताया
Ranchi: वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के उठाये सवाल पर केंद्र की नीति अब सभी गैर बीजेपी शासित राज्यों ने भी सवाल उठाना शुरू कर दिया है. राज्यों का कहना है कि वैक्सीन की अलग-अलग कीमत ने राज्य सरकारों पर बोझ बढ़ा दिया है. ऐसे में देश को कोरोना की तीसरी वेब से बचाने के लिए जरूरी है कि देशव्यापी मुफ्त वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाये.
इसी कड़ी में राज्य की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने भी वैक्सीन को लेकर केंद्र की एक देश-दो नीति पर सवाल उठा दिया है. पार्टी ने कहा है कि एक देश में वैक्सीनेशन को लेकर अलग-अलग नीति नहीं होनी चाहिए.
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हमें देशव्यापी ठोस नीति की जरूरत है, तभी हम देश में तेजी से वैक्सीन लगाकर तीसरे लहर को रोक पायेंगे. बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने भी पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य के 18 से 45 आयु वर्ग के लगभग एक करोड़ 57 लाख लोगों के लिए कोविड-19 के मुफ्त टीकों का इंतजाम कराया जाए. सीएम के मुताबिक राज्य में कोरोना के खिलाफ चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में कम टीकों की आपूर्ति सबसे बड़ी चुनौती बन गई है, जिसे दूर किया जाना आवश्यक है.
अतिरिक्त 2100 करोड़ रुपये इस संकट के काल में अकेले वहन करना संभव नहीं
पार्टी का कहना है कि आज हालत यह है कि वैक्सीन निर्माता कम्पनियां राज्य सरकार को वैक्सीन देने को तैयार नहीं हैं. जिस रेट पर राज्य वैक्सीन खरीद रहा है, वह केंद्र के रेट से दो व तीन गुणा ज्यादा है. जेएमएम ने पूछा है कि, क्या यह जनता के पैसों की बर्बादी नहीं हैं. जेएमएम का कहना है कि 18 से 45 साल तक के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए राज्य को अतिरिक्त 2100 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी, जो इस संकट के काल में अकेले वहन करना संभव नहीं है.
सर्वें में अबतक 62 प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन खरीदने को पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का बताया तरीका
केंद्र की दोहरी नीति को लेकर जेएमएम ने सोशल मीडिया पर एक सर्वें भी शुरू किया है. सर्वें में पूछा गया है कि क्या एक देश में एक वैक्सीन की 2 कीमत की नीति सही है. क्या यह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का एक तरीका है. सर्वे में करीब 62 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि केंद्र की यह नीति पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का एक तरीका है.