Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस में हुए बड़े फेरबदल के बाद प्रदेश की राजनीति समीकरण में काफी कुछ बदलाव होना तय माना जा रहा है. डॉ रामेश्वर उरांव के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने और प्रदेश की कमान राजेश ठाकुर को मिलने के बाद माना जा रहा है कि अब पार्टी मुख्यालय में किसी एक विशेष गुट (प्रवक्ताओं) का कब्जा नहीं रहेगा. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद राजेश ठाकुर ने भी साफ कर दिया है कि उनकी नजर में कोई अपना पराया नहीं है. वे एक टीम के साथ काम करेंगे. इस बदली हुई राजनीतिक समीकरण के बीच एक चर्चा यह भी हो रही है कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दूसरे दल गये नेताओं की घर वापसी अब तय है. घऱ वापसी करने वाले नेताओं में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत, प्रदीप बलमुचू जैसे नेताओं का नाम शामिल हैं.
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नेताओं के घर वापसी में सबसे बड़ा रोड़ा स्वंय पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव थे
पार्टी के अंदर पहले से ही यह चर्चा होती रही है कि दूसरे दल गये नेताओं के घर वापसी में सबसे बड़ा रोड़ा स्वंय पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव थे. रूकावट के पीछे का कारण लोहरदगा की राजनीति था. पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि कोल्हान की राजनीति कर चुके प्रदीप बलमुचू के घऱ वापसी को लेकर रामेश्वर उरांव और राज्यसभा सांसद धीरज साहू हर तरह से प्रयासरत थे. वहीं वे इस बात को लेकर भी प्रयासरत थे कि लोहरदगा की राजनीति में पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए सुखदेव भगत की घर वापसी किसी भी हाल में नहीं हो. लेकिन उस दौरान यह भी तय माना जा रहा था कि अगर घऱ वापसी होगी तो दोनों नेताओं की, नहीं तो किसी की भी नहीं. राजेश ठाकुर के अध्यक्ष बनने के बाद अब प्रदेश की राजनीतिक समीकरण में बदलाव आना तय है. राजेश ठाकुर ने कहा कि वे टीम के साथ काम करेंगे. ऐसे में वे जरूर चाहेंगे कि टीम में पुराने दिग्गजों को साथ लेकर पार्टी को मजबूत करें. उम्मीद जतायी जा रही है कि सुखदेव और प्रदीप बलमुचू की घर वापसी जल्द हो सकती थी.
हर उदास कार्यकर्ताओं के चेहरे पर मुस्कान लाएंगे.
बदलती राजनीतिक समीकरण मे यह भी तय माना जा रहा है कि अब पार्टी मुख्यालय में गुटबाजी वैसा नहीं रहेगा, जैसा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के समय होता था. इसका संकेत नये प्रदेश अध्य़क्ष ने भी दे दिया है. राजेश ठाकुर ने कहा था कि वे हर उदास कार्यकर्ताओं के चेहरे पर मुस्कान लाएंगे. बता दें कि पिछले कुछ माह से कतिपय प्रवक्ताओं के व्यवहार से पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी देखी जा रही थी. इसी नाराजगी का एक परिणाम बीते 22 फरवरी को दिखा था. जब कार्यकारी अध्यक्षों और प्रवक्ताओं की टोली ने प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के सामने ही जमकर अपनी भड़ास निकाली थी.
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