Ranchi : सेंट्रल कोलफील्ड् लिमिटेड, दरभंगा हाउस रांची झारखंड के ऑडिटोरियम में सोमवार को महिला दिवस के उपलक्ष्य में ‘विमेन इन लीडरशिप’ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर्मी कर्नल डॉ अर्चना भट्ट, रांची विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ कामिनी कुमार, एचईसी की निदेशक अरूंधति पांडा, डॉ विमला प्रसाद, सीसीएल डॉयरेक्टर विनय रंजन सहित अन्य लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत प्रज्वलित कर की गई. कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ.
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महिला उत्पीड़न पर हुई चर्चा
इस महिला दिवस के अवसर पर कार्यक्रम में महिला उत्पीड़न और ऑर्गेनाइजेशन (प्राइवेट और सरकारी) में काम करने वाली महिलाओं के साथ होने वाले शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के बारे में चर्चा की गई और साथ ही इन से जुड़े एक्ट के बारे में महिलाओं के साथ चर्चा की गई. महिलाओं से जुड़ी सारे आर्टिकल पर चर्चा कर उन्हें अवगत कराया गया.
उन्हें यह बताया गया कि उनके साथ हो रहे उत्पीड़न को वे बेझिझक ऑर्गेनाइजेशन के इंटरनल कमेटी के तहत महिलाए कंप्लेन कर सकती हैं. उनकी सारी पर्सनल आइडेंटिटी गोपनीय रखी जाती है. साथ ही कार्यक्रम में छात्राओं ने ऑफिस में होने वाले शारीरिक उत्पीडन और बैड टच से महिलाओं को अवगत कराने के लिए नाटक की प्रस्तुति दी गई.
माहवारी से लेकर प्रेग्नेंसी तक की चर्चा
कार्यक्रम के दौरान महिला की माहवारी से लेकर महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर भी चर्चा की गयी. सीसीएल स्टाफ ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि माहवारी को लोग गंदी चीज समझते हैं. इसे बदलने की जरूरत है. महिलाए प्रेग्नेंट होने के बाद भी अपना काम कैसे मैनेज करती है, इससे जुड़े एक शॉर्ट वीडियो दिखाकर महिलाओं को प्रेरित किया गया.
महिला होना ही बड़ा अचीवमेंट है
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कर्नल अर्चना भट्ट ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह महिला दिवस महिलाओं के एचीवमेंट को सेलिब्रेट करने के लिए मनाया जाता है. इंडिया में कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने समाज में योगदान दिया है. कर्नल ने कहा कि महिला होना ही खुद में बहुत बड़ा एचीवमेंट है.
साथ ही उन्होंने कहा कि समाज में महिला सशक्तिकरण की बात होती है लेकिन महिलाएं जन्म से ही इंजीनियर या कहें मल्टीटास्कर होती हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं में काम करने और समाज से लड़ने की क्षमता बखूबी होती है. बस जरूरत है समाज को बदलने की. उन्होंने कहा कि आज एसी कोई जगह नहीं, जहां महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर काम नहीं कर रहीं.
रांची यूनिवर्सिटी की डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि महिला आज जनप्रतिनिधि के तौर पर भी समाज में काम कर रही हैं. महिला और पुरुष गाड़ी के पहिए के समान हैं. दोनों को ही एक-दूसरे का सम्मान करते हुए समाज में आगे बढ़ने की जरूरत है. एचईसी की निदेशक अरुंधति पांडा ने कहा कि महिलाएं खुद के लिए जीना शुरू करें.
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