Ranchi : रांची विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में हुआ. डॉ. नीरज ने स्लाइड शो के माध्यम से पूरी जानकारी दी. डॉ. राजकुमार शर्मा ने छात्रों के लिये सभी विकल्पों के बारे में बताया. बताया कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले छात्र पूर्ण स्नातक होंगे. छात्र किसी मजबूरी में दो सेमेस्टर पास करके अगर पढ़ाई छोड़ते हैं, तो उन्हें एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स का प्रमाणपत्र दिया जायेगा. वहीं वह बाद में आकर बाकी सेमेस्टर को पूरा कर सकते हैं. दूसरे विश्वविद्यालयों से भी छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं. वहीं डबल मेजर की सुविधा (दो मुख्य विषयों को एक साथ रखकर ) उन्हीं छात्रों को प्राप्त होगी, जिन्होंने बारहवीं या समकक्ष में 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किये हों. एग्जिट एंड एंट्री के तहत पढाई के लिये सात साल तक रजिस्ट्रेशन मान्य होगा. इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. मुकुंद चंद्र मेहता, सीसीडीसी डॉ. पीके झा, डीएसडबल्यू डॉ. सुदेश साहु, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा के अलावा रांची विश्वविद्यालय के सभी वरीय पदाधिकारी, विभिन्न विभागों के हेड, संकायाध्यक्ष, प्राध्यापक उपस्थित थे.
छात्रहित में एनइपी में बहुत सारे प्रावधान- वीसी
कार्यशाला में कुलपति प्रो. डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि छात्रहित में एनइपी में बहुत सारे प्रावधान हैं. अभी सारे प्रावधानों को याद रख पाना संभव नहीं. इसलिये उन्होंने सुझाव दिया कि आज इस कार्यशाला में दी गयी इन सारी जानकारियों को विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अलावा प्राध्यापकों, विभागों, कॉलेजों के इमेल पर भी उपलब्ध कराया जाये. कुलपति ने इसके साथ ही सभागार में उपस्थित प्राध्यापकों, हेड, डीन तथा विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों से महीने के प्रत्येक तीसरे शनिवार को एक सेमिनार या बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया, ताकि रांची विश्वविद्यालय अपने पठन पाठन या अन्य चुनौतियों के निदान में सजग रहे.
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