Hazaribag : मानव सभ्यता की शुरुआत नदियों के किनारे ही हुई है. सिंधु घाटी की सभ्यता से निकली मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की संस्कृति इसके स्पष्ट प्रमाण हैं. जल ही जीवन रेखा है तथा इसकी महत्ता विश्वव्यापी है. यह बात विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के राजनीति विज्ञान विभाग के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष डॉ बीपी सिंह ने बुधवार को वर्ल्ड वाटर डे पर जल संरक्षण और स्वच्छता विषय पर आयोजित सेमिनार में कही. राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में डॉ सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में जल संरक्षण की समस्या राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बन गई है. उन्होंने जल पुरुष राजेंद्र सिंह के जल संरक्षण क्षेत्र में विश्वव्यापी स्तर पर किए गए योगदान की चर्चा की.
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मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने कहा कि पूरा विश्व जल संकट के दौर से गुजर रहा है. नदियां और जलाशय दम तोड़ रहे हैं. पीने का पानी अब बोतलों में संग्रह किया जाने लगा है, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण और भविष्य के लिए भयावह है. डॉक्टर मोइत्रा ने कहा कि पेयजल के संरक्षण के लिए हमें संकल्प लेना होगा.
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सेमिनार में डॉ रीता कुमारी, डॉ प्रमोद कुमार, अमित वर्मा, प्रिया और सुमित कुमार ने भी अपने विचार रखे. पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मारग्रेट लकड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए जल संरक्षण, पर्यावरण और वन संरक्षण समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की. कार्यक्रम के समापन के पहले सेमेस्टर-दो एवं चार के विद्यार्थियों को जल संरक्षण के लिए शपथ दिलाई गई तथा संकल्प लिया गया कि जल को संरक्षित करने की मुहिम स्थानीय स्तर से ही चलाई जाएगी. मौके पर रुखसाना, धर्मेंद्र, रवि समेत कई शोधार्थी विशेष रूप से उपस्थित थे.