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सड़क हादसे में युवा ज्यादा प्रभावित, यह चिंता का विषय : अभिमन्यु कुमार

Medininagar: रविवार को जिलास्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कॉन्सुल्टेशन एवं मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल एमएसीटी पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. मौके पर पंचम जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अभिमन्यु कुमार, चतुर्थ जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रेमनाथ पाण्डेय, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अर्पित श्रीवास्तव, एएसपी राकेश कुमार मुख्य रूप से उपस्थित थे. अभिमन्यु कुमार ने कहा कि लॉ रोज डे टू डे डेवलप कर रहा है. पुलिस का यह दायित्व हैं कि अपराध के दोषी को सजा दिलाने के साथ-साथ क्षतिपूर्ति भी दिलाए. उन्होंने कहा कि दुर्धटना अचानक आने वाली विपदा है. पुलिस अधिकारी की यह ड्यूटी हैं कि वह गाड़ी चालक का लाइसेंस, इंश्योरेंस परमिट आदि की मांग कर सकता है. अभिमन्यु कुमार ने कहा कि पुलिस को एक्सीडेंट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट तैयार करना पड़ता है. साथ ही उसे तीन महीने के अंदर दाखिल करना होता हैं. सड़क दुर्घटना में घायलों को चिकित्सीय सुविधा पहुँचाने एवं मृतकों के परिजनों को मुआवजा राशि भुगतान आदि की पूरी प्रक्रिया में पुलिस व चिकित्सा पदाधिकारीयो की अहम भूमिका है. इसे भी पढ़ें-चंदवा">https://lagatar.in/chandwa-polices-bullying-journalist-beaten-hot-tea-thrown-on-his-face/">चंदवा

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सड़क हादसे में पुलिस 30 दिनों के अंदर कोर्ट में सौंपे रिपोर्ट

अभिमन्यु कुमार ने कहा कि ऐसे मामले में पुलिस को बिना विलम्ब किये अनुसंधान में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए. चिकित्सा पदाधिकारी को भी डिटेल् एक्सीडेंट रिपोर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट सम्बंधित अनुसंधान पदाधिकारी को समर्पित करना चाहिए, ताकि दुर्धटना में मौत के बाद मृतक के परिजनों को समय पर मुवावजा राशि का भुगतान किया जा सके. उन्होंने कहा कि पुलिस को जाँच रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा के अंदर सारे दस्तावेज सम्बन्धित न्यायालय को सौंपना अनिवार्य है. क्योंकि त्वरित न्याय प्रक्रिया शुरू कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जा सके. सड़क दुर्घटना में 30 दिनों के अन्दर पुलिस को दुर्घटना से सम्बंधित कागजात न्यायालय में प्रस्तुत करना पड़ता हैं. ऐसा नही होने पर कोर्ट को सूचित करना आवश्यक है. उन्होंने आगे कहा कि दुर्घटना में घायल की मदद करने वालो को पुलिस पूछताछ नही करेगी. साथ ही घायल को अस्पताल पहुँचाने वालो को पुलिस उससे पूछताछ या गवाही में नाम नही डाल सकती हैं. उन्होंने कहा कि अभी भी लोगो मे जागरूकता का अभाव हैं. दुर्धटना मृत परिवार के सदस्य जानकारी के अभाव में दुर्धटना मुआवजा नहीं ले पाते हैं. इसके लिए जितना अधिक से अधिक प्रचार प्रसार होगा. इसे भी पढ़ें-पलामू">https://lagatar.in/palamu-dc-held-a-meeting-with-representatives-of-political-parties/">पलामू

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मृत्यु होने पर 2 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति

कार्यशाला में पोस्को कोर्ट के स्पेशल जज प्रेमनाथ नाथ पांडेय ने लैंगिग अपराधों से बालको का संरक्षण के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि 18 साल से कम उम्र वाले बालक की श्रेणी में आते हैं. उन्होंने कहा कि बालक का उम्र निर्धारण करने के लिए चार चीज देखना जरूरी है. सबसे पहले बालक की प्रारंभिक शिक्षा किस स्कूल से हुई है. स्कूल के रजिस्टर में उसका उम्र कितना दर्ज है. इसके बाद हाई स्कूल सर्टिफिकेट में उम्र कितना है. यह दोनों उपलब्ध नही है तब पंचायत इस नगर निगम से निर्गत जन्म प्रमाण पत्र से भी उम्र निर्धारण किया जाता है. जब ये सब भी उपलब्ध नही है तो मेडिकल बोर्ड से निर्गत प्रमाण पत्र से भी उम्र निर्धारण किया जाता है. मेडिकल से उम्र का एक्यूरेट उम्र का निर्धारण डॉक्टर नही करते वे सिर्फ रेंज बताते हैं. ज्यादातर 17 से 19 बर्ष बताया जाता है.इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अर्पित श्रीवास्तव ने कहा कि एमएसीटी केस में 50 दिन के अंदर आईएआर दाखिल करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हिट एंड रन के केस में इंजुरी होने पर 50 हजार रुपया व मृत्यु होने पर दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान हैं. कार्यशाला में पुलिस अधिकारी, इन्सुरेंस कम्पनी के अधिवक्ता, लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय, सीडब्लू सी के चेयरपर्सन प्रणव कुमार वरेण्य, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार, संप्रेक्षण गृह पलामू के अधीक्षक आर्यन प्रसाद, अधिवक्ता संजय कुमार पांडेय, सुरेंद्र कुमार शुक्ल, विक्रम सहाय, पुष्कर राज, के अलावे जिले के सभी थाने के पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे. [wpse_comments_template]