12 दिन गुजरे, पर्यटकों पर हमले की खुफिया जानकारी और सरकार की चुप्पी

Lagatar Desk
जम्मू-कश्मीरा क बैसारन में आतंकी हमले में 25 भारतीय व एक नेपाली पर्यटकों की मौत के 12 दिन गुजर गए हैं. केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय ने अब तक सिर्फ यह कहा कि चूक हुई है. इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया. टीवी चैनलों व सोशल मीडिया पर युद्ध का उन्माद फैलाया जा रहा है. इस बीच 4 अप्रैल को अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाईम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया है, जिसमें बताया गया है कि पर्यटकों पर हमले की खुफिया जानकारी थी. हिन्दुस्तान टाईम्स में Sunetra Choudhury की रिपोर्ट कहती है आईबी और दूसरी खुफिया एजेंसियों ने सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस को यह रिपोर्ट की थी पर्यटकों पर हमले हो सकते हैं. यह हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे (18-19 अप्रैल) के दौरान हो सकता है. इस सूचना पर श्रीनगर में प्रमुख होटलों और पर्यटन स्थलों की सुरक्षा बढ़ायी गई थी.
जैसा की बताया गया था- मौसम की खराब स्थिति की वजह से प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर दौरा स्थगित करना पड़ा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे पर चले गए और इधर 22 अप्रैल को आतंकियों ने बैसारन में पर्यटकों पर हमला कर दिया. 26 लोगों की हत्या कर दी. जिस जगह पर हमला किया गया, वहां 2000 से अधिक पर्यटक थे और सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था.
प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यह सच है कि प्रधानमंत्री का दौरा रद्द होने के बाद भी अगले एक-दो दिनों तक श्रीनगर और उसके आसपास सुरक्षा में ढ़ील नहीं दी गई थी. हिन्दुस्तान टाईम्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अधिकारियों का कहना है कि जो खुफिया रिपोर्ट आयी थी, उसमें पहलगाम का जिक्र नहीं था.  https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/05/supriya-srinate-188x300.jpeg"

alt="" width="188" height="300" /> सबसे गंभीर बात है कि देश को यह बात सरकार के स्तर से बताया जाना चाहिए था, लेकिन पता चलता है अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट से. कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है. सुप्रिया श्रीनेत ने एक एक्स पर ट्विट करके कहा है कि दो हफ्ते पहले खबर थी कि प्रधानमंत्री मोदी की 19 अप्रैल की कश्मीर यात्रा मौसम खराब होने के कारण स्थगित हुई. अब अधिकारियों का कहना है कि 19 अप्रैल के आसपास पर्यटकों पर हमले की खुफिया जानकारी पहले से थी. फिर इस सूचना के बावजूद निर्दोष पर्यटकों के लिए कोई सावधानी क्यों नहीं रखी गई?