कोरोना पीड़ितों की मदद में फिसड्डी रहे 9 मंत्री और 19 सांसद, कुणाल षाडंगी और सीता सोरेन सबसे आगे

Ranchi: कोरोना ने जनता के बीच जनप्रतिनिधियों की पोल खोल दी है. जनता की सेवा करने का दंभ भरने वाले हाई प्रोफाइल जनप्रतिनिधियों ने संकट के समय में उनकी गुहार को अनसुना किया. उनकी मदद नहीं की. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को छोड़कर एक भी मंत्री और सांसद ने किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मदद के लिए कोई ट्वीट नहीं किया. हालांकि इसी संकट काल में राज्य के दो नेता रियल हीरो बनकर उभरे. पूर्व विधायक और बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी और जामा की जेएमएम विधायक सीता सोरेन उस वक्त सुपर एक्टिव थे, जब राज्य में लोग कोरोना से कराह रहे थे.

एक माह में कुणाल ने 83 और सीता ने 22 को पहुंचाई मदद

पिछले एक महीने में कोरोना संक्रमितों और बीमार लोगों की मदद करने में कुणाल षाडंगी और सीता सोरेन सबसे आगे रहे. कुणाल षाडंगी ने 8 मई से 8 जून तक ट्विटर के जरिये 83 बीमारों को मदद पहुंचाई. जिस भी शख्स ने उन्हें ट्वीट किया, उसे शेयर या रिट्वीट कर कुणाल ने केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री और अधिकारियों से संबंधित व्यक्ति की मदद करने की अपील की. लगभग 90 फीसदी लोगों की मदद कर पाने में कुणाल सफल रहे. वहीं सीता सोरेन ने पिछले एक महीने में 22 ट्वीट कर बीमार लोगों की मदद के लिए सरकार और अधिकारियों से मदद मांगी. इन दोनों ने न सिर्फ झारखंड बल्कि दूसरे राज्यों में रह रहे झारखंडवासियों की भी ऑनलाइन मदद की.

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नेताओं ने किये सैकड़ों ट्वीट, लेकिन मदद के लिए एक भी नहीं

जब राज्य में कोरोना पीक पर था. हर रोज राजधानी रांची समेत पूरे राज्यभर के हजारों लोग मदद के लिए ट्विटर पर गुहार लगा रहे थे. मदद की उम्मीद में लोग मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को पोस्ट शेयर कर रहे थे या टैग कर रहे थे, लेकिन इन्होंने एक भी व्यक्ति का ट्वीट न तो शेयर किया और न रिट्वीट कर सरकार और अधिकारियों को संबंधित व्यक्ति की मदद करने का निर्देश दिया. सत्ता पक्ष तो दूर, विपक्ष में बैठे सांसदों और विधायकों ने भी अपने ट्विटर से एक महीने में सैकड़ों पोस्ट किये, सैकड़ों लिंक रिट्वीट किये. लेकिन उनमें एक भी ट्वीट ऐसा नहीं था, जिसमें किसी व्यक्ति को आक्सीजन, बेड, रेमेडिसिवर या किसी अन्य स्वास्थ्य सुविधा के लिए अधिकारियों को कोई निर्देश दिया गया हो.

कुणाल को मिल रही सैकड़ों लोगों की दुआएं

जनता को अपने जनप्रतिनिधियों की जरूरत थी, तब 99 फीसदी नेता सोशल मीडिया में एक्टिव होकर भी उनकी गुहार को अनसुना कर रहे थे. वहीं कुणाल षाडंगी ने पिछले एक महीने में थैलेसीमिया से पीड़ित एक बच्चे की मदद ट्विटर के जरिये की. अस्पतालों में भर्ती 3 गरीब मरीज के परिजनों का हजारों रुपये का बिल माफ कराया. 9 वर्षीय अनुष्का के लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी में मदद पहुंचाई. 25 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में जगह दिलवाने में मदद की. जरूरतमंदों को ऑक्सीजन सिलेंडर दिलवाने में भी उन्होंने मदद की. इस दौरान उन्होंने प्लेटलेट्स भी दान किया. 83 लोगों को संकट काल में चिकित्सा सुविधा दिलवाने के साथ-साथ उन्होंने कई लोगों को ट्विटर के जरिये वृद्धा, विधवा और विकलांगता पेंशन दिलवाने में मदद की. लोग उन्हें खूब दुआएं दे रहे.

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हर फरियादी के ट्वीट पर सीता ने लिया एक्शन

वहीं सीता सोरेन ने पिछले एक महीने में 21 ट्वीट और रिट्वीट कर जरूरतमंदों को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने में मदद की. 17 साल की एक लड़की के इलाज के लिए ट्वीट कर अधिकारियों और सरकार से मदद मांगी. वहीं नीरज कुमार नाम के शख्स का एक वीडियो डालकर उसकी मदद के लिए गुहार लगाई. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट पर संज्ञान लेते हुए गंभीर बीमारी योजना के तहत इलाज कराने का निर्देश दिया. घापू देवी को वेंटीलेटर की जरूरत थी. सीता सोरेन की पहल पर उन्हें मदद मिली. साहित्यकार निलोत्पल मृणाल की मदद के लिए भी उन्होंने ट्विटर के जरिये मदद मांगी. जितने भी लोगों ने ट्विटर के जरिये सीता सोरेन से मदद मांगी, उन्होंने सबके ट्वीट को शेयर या रिट्वीट कर उन्हें मदद पहुंचाई.

सिर्फ ट्वीट ही नहीं, मदद मिलने तक करते रहे फॉलोअप

कुणाल और सीता सोरेन ने सभी जरूरतमंदों की मदद के लिए न सिर्फ उनके लिए ट्वीट या रिट्वीट किया, बल्कि फॉलोअप भी किया. जरूरतमंदों तक मदद पहुंचने तक वे उन्हें फॉलो करते रहे. जब पीड़ित को मदद पहुंचा ली, तब फिर दूसरे की मदद के लिए आगे बढ़ते गये. कोरोना काल में दोनों नेताओं ने झारखंड में खूब लोकप्रियता हासिल की. जब बड़े मंत्रियों, सांसदों और विधायकों ने लोगों के ट्वीट को नजरअंदाज कर दिया तब वे कुणाल षाडंगी और सीता सोरेन से मदद की गुहार लगाने लगे. मदद मिलने के बाद फॉलोअर्स इन नेताओं का ट्विटर पर ही आभार जता रहे हैं.

शुभकामना और श्रद्धांजलि के लिए एक्टिव हैं कुछ नेताओं के प्रोफाइल

बीजेपी के सांसद दीपक प्रकाश, महेश पोद्दार, संजय सेठ, जयंत सिन्हा, विधायक बाबूलाल मरांडी और सीपी सिंह का ट्विटर अकाउंट काफी एक्टिव है. इनके अकाउंट से हर दिन कम से कम 4-5 ट्वीट हो ही जाते हैं, लेकिन जरूरतमंदों की मदद के लिए नहीं, बल्कि जयंती पर शुभकामना देने, मृत्यु पर श्रद्धांजलि देने और सरकार को घेरने के लिए. इन लोगों के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से पिछले एक महीने में वैक्सीन, पंकज मिश्रा, रूपा तिर्की, धान खरीद और टूलकिट जैसे बड़े मुद्दे उठाये गये, लेकिन किसी गरीब के लिए ऑक्सीजन, बेड या दवाइयों के लिए कोई ट्वीट नहीं हुआ. उधर कांग्रेस के विधायक और मंत्री रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख ने भी किसी की मदद के लिए ट्विट नहीं किया. जेएमएम के मिथिलेश ठाकुर, जोबा मांझी, चंपई सोरेन के ट्विटर हैंडल से भी एक महीने में काफी ट्वीट हुए, लेकिन किसी जरूरतमंद की मदद के लिए कोई पोस्ट नहीं हुआ.

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जनप्रतिनिधि                         मदद के कितने ट्वीट

अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री                 0

रामेश्वर उरांव, मंत्री                    0

आलमगीर आलम, मंत्री                 0

बादल पत्रलेख, मंत्री                    0

चंपई सोरेन, मंत्री                      0

जोबा मांझी, मंत्री                      0

मिथिलेश ठाकुर, मंत्री                   0

हफीजुल हसन, मंत्री                    0

सत्यानंद भोक्ता, मंत्री                  0

रघुवर दास, पूर्व सीएम                 0

सुदेश महतो, आजसू चीफ               0

संजय सेठ, सांसद                     0

महेश पोद्दार, सांसद                        0

जयंत सिन्हा, सांसद                   0

सुनील सोरेन, सांसद                   0

शिबू सोरेन, सांसद                         0 (ट्विटर प्रोफाइल में एक्टिव नहीं है)

विजय हांसदा, सांसद                   0 (ट्विटर प्रोफाइल में एक्टिव नहीं है)

चंद्रप्रकाश चौधरी, सांसद                 0

निशिकांत दुबे, सांसद                   3

विद्युतवरण महतो, सांसद               0

गीता कोड़ा, सांसद                     0

सीपी सिंह, विधायक                    0

इरफान अंसारी, विधायक                0

भानु प्रताप शाही, विधायक        0

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