पत्रकार नवीन शर्मा का निधन, मुख्यमंत्री और उनके प्रेस सलाहकार ने जताया दुख, पत्रकारों में शोक की लहर
अचानक भीड़भाड़ का भय क्यों ?
अब चर्चा यह है कि थानेदार तो पूर्व में भी छुट्टी पर जाते होंगे तब गेट कभी बंद नहीं हुआ. अब अचानक भीड़भाड़ का भय क्यों? बता दें कि थाना परिसर में स्थानीय पत्रकार दिन में आते जाते रहते हैं. जो थाना की प्रत्येक एक्टिविटी को दर्ज करते हैं. दो दिन पूर्व भी वहां रहने वाले पत्रकार ने एक लहूलुहान फरियादी का वीडियो लिया जो थानेदार को नागवार गुजरा. वे आवेश में आकर बदतमीजी कर बैठे, उनके साथ उनके अंगरक्षक भी इसमें शामिल थे. लेकिन 10 मिनट बाद ही मामले को पत्रकारों ने वार्ता कर सुलझा लिया था.थानेदार की कार्यशैली से सोशल पुलिसिंग पर प्रश्नचिन्ह
फिर आज से थाना का मुख्य द्वार बंद कर वहां संतरी बिठाना समझ से परे है. बता दें कि आदित्यपुर थाना 1960 के दशक से काम कर रही है लेकिन कभी ऐसा माहौल नहीं दिखा. पहले तो थाना खुला रहता था, न तो चहारदीवारी थी और न ही गेट. फिर आज ऐसा क्यों? थाना में आमलोग अपनी पीड़ा और व्यथा लेकर आते हैं. वे मुख्य द्वार को बंद देखेंगे तो कैसे अपनी व्यथा सुना पाएंगे. वैसे भी आज की पुलिसिंग सोशल पुलिसिंग हो चुकी है. ताकि आमजन को ज्यादा से ज्यादा न्याय मिल सके. लेकिन वर्तमान थानेदार की कार्यशैली ने सोशल पुलिसिंग पर प्रश्नचिन्ह जरूर खड़ा कर दिया है. इसे भी पढ़ें: जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-tata-steels-jamshedpur-plant-honored-with-lighthouse-award/">जमशेदपुर: टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट को लाइटहाउस अवार्ड से किया गया सम्मानित [wpse_comments_template]