धनबाद में एयरपोर्ट, बेकार के ख्वाब और सांसद ढ़ुल्लू महतो

Dharmraj Singh सांसद बेवजह धनबाद के लोगों को एयरपोर्ट का चूरन बेच रहे हैं. और, जाने अनजाने खुद के लिए मुश्किलात खड़ी कर रहे हैं. भविष्य में इस मुद्दे पर इसका जवाब भाजपा और सांसद को देते नहीं बनेगा. धनबाद की जनता ये बात समझ ले कि निकट भविष्य में धनबाद एयरपोर्ट का सपना उसी दिन खत्म हो गया था, जिस दिन धनबाद का एयरपोर्ट देवघर शिफ्ट हुआ. इसको समझने के लिए कोई रॉकेट साइंस नहीं है. थोड़ा सा दिमाग अगर कोई लगा ले तो ये बात स्पष्ट हो जाएगा कि धनबाद को अगले दस बीस साल एयरपोर्ट नहीं मिलने जा रहा. धनबाद में जहां एयरपोर्ट प्रस्तावित है. वहां से तीन सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रांची, देवघर और दुर्गापुर हैं. रांची 160-165 किमी और देवघर दुर्गापुर एयरपोर्ट 100-125 किमी की दूरी पर स्थित है. रांची एयरपोर्ट से रोजाना 30-35 फ्लाइट उड़ान भरती है. देवघर व दुर्गापुर से रोजाना एक या दो रेगुलर फ्लाइट हैं और कुछ सप्ताह में दो तीन विशेष फ्लाइट. यहां एक सवाल माननीय सांसद और जिन लोगों को लगता है कि वर्तमान हालात में एयरपोर्ट धनबाद में बन जाएगा, देश में कितने शहर हैं, जिनके 200-250 किमी के रेडियस में चलते फिरते दो एयरपोर्ट हैं. देश की राजधानी दिल्ली के एयरपोर्ट से रोजाना 1300 से ज्यादा फ्लाइट उड़ती है. इसीलिए वहां तीन टर्मिनल हैं. सबसे पास में नोएडा का जेवर एयरपोर्ट इतने सालों बाद बन रहा है, वो तकरीबन 80 किमी दूर है. जिस राज्य से रोज 40 के करीब फ्लाइट उड़ रही है. जहां पर एयरपोर्ट की मांग हो रही है, उसके सबसे नजदीकी एयरपोर्ट से एक दो जहाज उड़ रहे. उसके बाद भी एयरपोर्ट चाहिए और मिलेगा, इस पर तो सस्ता नशा करने वाला भी भरोसा न करे. वैसे, धनबाद को एयरपोर्ट मिल सकता है. अगर, देवघर बंद हो जाए. जिसकी संभवना नहीं है. दूसरा धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बोकारो का एयरपोर्ट, जहां से छोटी फ्लाइट को उड़ाने का प्लान है, उस एयरपोर्ट पर ताला लग जाए. एक राजनीतिक सवाल तो सांसद जी से पूछा जाना चाहिए, जब वो धनबाद एयरपोर्ट की बात करते हैं, उसका मतलब है, बोकारो का एयरपोर्ट प्लान बंद होगा. क्योंकि, धनबाद संसदीय क्षेत्र में इतने तो हवाई यात्री नहीं हैं, जो देश का संभवत इकलौता लोकसभा क्षेत्र बन जाए, जहां दो-दो एयरपोर्ट सफलतापूर्वक से संचालित किया जा सके. डिस्क्लेमरः लेखक पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं.