मधुपुर में बोरो प्लेयर से भी जीत नहीं पाई बीजेपी, आजसू और पलिवार खेमे ने कर दिया खेल!

गंगा नारायण के पक्ष में एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं निकले थे राज पलिवार

आजसू का एक भी नेता चुनाव प्रचार करने जाता तो आराम से सीट निकाल लेते गंगा

Ranchi: मधुपुर में बीजेपी पूरी ताकत लगाकर भी हार गई. भले ही इस हार को बीजेपी कम मार्जिन वाला हार बताकर खुद को तसल्ली दे रही है, लेकिन हकीकत यही है कि बीजेपी का ओवर कॉन्फिडेंस, अपने दल के नेता (राज पलिवार) पर अविश्वास और सहयोगी पार्टी आजसू का असहयोग उसे इस उपचुनाव में ले डूबा. मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में गंगा नारायण की लोकप्रियता और पकड़ देखकर बीजेपी ने बतौर बोरो प्लेयर उनपर दांव लगा दिया, लेकिन वहां की क्षेत्रीय राजनीति के समीकरणों को अनदेखा कर दिया. बीजेपी ने पहले तो बगैर आजसू की सहमति के गंगा नारायण को पार्टी में शामिल करा लिया. आजसू ने विरोध जाहिर तो नहीं किया, लेकिन उपचुनाव में वो बीजेपी के साथ खड़ी नहीं रही. आजसू का एक भी नेता एनडीए कैंडीडेट गंगा नारायण के पक्ष में चुनाव प्रचार करने नहीं गया और न ही पार्टी की ओर से मधुपुर में गंगा नारायण के समर्थन देने संबंधी कोई बयान जारी हुआ. वहीं बीजेपी राज पलिवार का टिकट काटने के बाद उन्हें मनाने में भी नाकामयाब रही.

आजसू का सपोर्ट मिलता बड़ी मार्जिन से जीतते गंगा

उपचुनाव में गंगा नारायण सिंह 5247 वोट से हारे हैं. अगर बीजेपी समय रहते आजसू को मना लेती और आजसू प्रमुख सुदेश महतो, सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी समेत पार्टी के अन्य नेता 1 दिन भी वहां चुनाव प्रचार करने पहुंच जाते तो गंगा नारायण कम से कम 10 हजार से ज्यादा वोट से जीत हासिल करते. बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में मधुपुर सीट से बीजेपी और आजसू अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. चुनाव में आजसू प्रत्याशी के तौर पर खड़े गंगा नारायण को 45,620 वोट मिले थे. जाहिर है आजसू की नाराजगी से बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है.

राज पलिवार की नाराजगी ने बीजेपी को हराया !

राज पलिवार की नाराजगी से भी बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है. राज पलिवार का वोटबैंक अगर बीजेपी प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को मिल जाता तो वे आराम से जीत जाते. कम से कम 10 हजार वोट तो उनकी नाराजगी की वजह से कटी ही होगी. बीजेपी ने आनन-फानन में पूरे कॉन्फिडेंस के साथ गंगा नारायण सिंह पर दांव तो लगा दिया, लेकिन उसके बाद प्रदेश नेतृत्व पलिवार और आजसू को मैनेज करने में विफल रहा.

प्रदर्शन बुरा नहीं, लेकिन मैनेजमेंट में फेल रही बीजेपी

मधुपुर उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन बुरा नहीं है, लेकिन रणनीति और मैनेजमेंट के मामले में बीजेपी फेल हो गई. कम मार्जिन से ही जीत हासिल कर हफीजुल और जेएमएम ने अपनी प्रतिष्ठा बचा ली. उपचुनाव के नतीजों से प्रत्यक्ष तौर पर हेमंत सोरेन सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला था, लेकिन हफीजुल की जीत से सरकार की स्थिति और मजबूत हुई है. जेएमएम के मत प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई, 2019 के चुनाव में जेएमएम को करीब 88 हजार वोट मिले और इस बार एक लाख 10 हजार से अधिक वोट आए.

4 निर्दलीयों पर भारी पड़ा नोटा

मधुपुर विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद यह साफ हो गया कि बीजेपी और जेएमएम के अलावा जनता को कोई और पसंद नहीं है. इस बार भी उपचुनाव में तीसरे नंबर पर नोटा आया है. उपचुनाव में खड़े 4 निर्दलियों पर नोटा भारी पड़ा है. जेएमएम और बीजेपी के बाद तीसरे नंबर पर 5,123 वोट के साथ नोटा रहा. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 4,520 वोट के साथ नोटा चौथे नंबर पर रहा था.